दुनियाभर में लड़कियों के पीरियड्स से जुड़ी कई अजीबोगरीब धारणाएं हैं. हमारे देश में भी पीरियड्स को लेकर लोगों की बेहद घटिया सोच है. भारत की कई जगहों पर पीरियड्स के दौरान लड़कियों-औरतों को अशुद्ध माना जाता है और ऐसे समय में उन्हें घर से बाहर रखा जाता है. ऐसी हीएक घटिया प्रथा ने तमिलनाडु के अनिकडु गांव की एक 12 वर्षीय बच्ची की जान ले ली. जी हाँ... दरअसल हुआ यूं कि 12 साल की विजया नाम की एक लड़की जो सातवीं क्लास में पढ़ती थी. 12 नवंबर को उस बच्ची को पहली बार पीरियड्स आए थे. पीरियड्स आने के बाद घर में उसकी एंट्री बंद हो गई. फिर विजया के घरवालों ने उसे पास ही बनी एक छोटी सी झोपड़ी में रहने को कहा. वहां की प्रथा के मुताबिक 16 दिन तक विजया को उस झोपड़ी में अकेले ही रहना था. 16 नवंबर को जब रात में विजय उसी झोपड़ी में सो रही थी तो बाहर तेज हवाएं चल रही थीं, क्योंकि इलाके में चक्रवात दस्तक देने वाला था. आपको बता दें मौसम विभाग ने पहले ही लोगों को चेतावनी जारी की थी और घर की अंदर ही किसी सुरक्षित स्थान पर रहने की अपील की थी. लेकिन फिर भी विजय के घरवालों ने उस बच्ची को झोपड़ी में ही छोड़ दिया. इसके बाद जो हुआ वो हैरान कर देने वाला था. जानकारी के मुताबविक चक्रवात के कारण आई तेज हवाओं से पास ही में एक नारियल का पेड़ उखड़ गया और वो सीधे उसी झोपड़ी के ऊपर जा गिरा जिसमें विजया सो रही थी. इसके कारण झोपडी में सो रही बच्ची की पेड़ के नीचे दबकर जान चली गई, जब सुबह उठकर लोगों ने देखा तो उसकी लाश पेड़ और झोपड़ी के नीचे दबी हुई थी. फ्रेश होते समय शख्स के पेट से निकली अजीबोगरीब चीज़ जिसे देखकर डॉक्टर हो गए हैरान इन खूबसूरत मैसेज के जरिए अपनों को दें गुरु पर्व की शुभकामनाए ये है भारत की भुतहा झील, जहाँ मिलते हैं कंकाल ही कंकाल...