निराशावादी लोगों को डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कालेस्ट्राल और डिप्रेशन जैसी बीमारियों के होने का खतरा ज़्यादा रहता है. निराशावादी लोगों में ओवरवेट होने का भी ज़्यादा खतरा रहता है. साथ ही ऐसे लोग धूम्रपान भी अधिक करते हैं.लोगों का नज़रिया उनके हार्ट रिस्क को बढ़ा सकता है. लेकिन यह सवाल बहुत अहम है कि क्या निराशावादिता को आशावादिता में बदला जा सकता है. आइए हम आपको बताते है वह उपाय जिनसे ऐसा हो सकता है. 1-हर रोज़ ध्यान करने से दिमाग के बांयी ओर के प्रिफ्रंटल लोब्स सक्रिय हो जाते हैं और यह हमारी हर रोज़ की परेशानियों से हमें बचाते हैं. 2-हर रोज़ एक निगेटिव सोच के साथ एक पाज़िटिव सोच भी बनायें. जिससे धीरे धीरे यह आपकी आदत बन जायेगी और आपकी सोच नकारात्मक से सकारात्मक हो जाएगी. 3-काम के साथ साथ मनोरंजन भी बहुत ज़रूरी है. मनोरंजन से भी आपके जीवन में सकरात्मकता आती है. 4-एक्सरसाइज़ से दिमाग में एन्डार्फिन्स एक्टिवेट होते हैं, इसके लिए चाहे सुबह शाम टहलें या कोई व्यायाम कर लें. गर्भाशय सम्बंधित रोगों में फायदेमंद है गुग्गुल का...