इंदौर : पीथमपुर में एक जमीन के मामले में योग गुरू बाबा रामदेव और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह उलझते नजर आ रहे है। हाईकोर्ट ने न केवल शिवराज सरकार से प्रश्न पूछा है वहीं योग गुरू बाबा रामदेव को भी कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया गया है। दरअसल मामला यह है कि योग गुरू को शिवराज सरकार ने नियमों को ताक में रखकर पीथमपुर में जमीन का आवंटन किया है। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हुई है। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुये शिवराज सरकार से यह पूछा है कि उसने रामदेव को जमीन का आवंटन किस नीति के तहत किया है। बताया गया है कि पिछले वर्ष आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में बाबा रामदेव को जमीन का आवंटन करने का वादा मुख्यमंत्री ने किया था और इसके तहत ही शासन ने योग गुरू को पीथमपुर में करीब 40 एकड़ जमीन नियमों के विपरित रियायती दरों पर दे दी है वहीं टैक्स में भी अन्य कई तरह की छूट देने की जानकारी सामने आई है। कोर्ट में दाखिल याचिका में मुख्यमंत्री को पक्षकार बनाया गया है, इससे अब कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। बताया जाता है कि याचिका में यह मांग की गई है कि जिस तरह से अन्य उद्योगपतियों को जमीन दी जाती है, उसी तरह बाबा रामदेव को भी दी जाये, लेकिन शासन ने बाबा को नियमों के विपरित करोड़ों की जमीन कौड़ी के भाव दे दी है। बाबा रामदेव की मौत, जानिए पूरा सच दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, माँ -बाप के घर पर बेटे का क़ानूनी हक़ नहीं