नईदिल्ली। भारत में पेट्रोलियम की कीमतें बढ़नें की संभावनाऐं जताई जा रही हैं। हालांकि वर्ष 2017 में ही कई बार कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से उपभोक्ता परेशान रहे। विपक्ष को केंद्र सरकार के खिलाफ, एक महत्वपूर्ण मुद्दा मिल गया। अब यह बात सामने आ रही है कि, वर्ष 2018 के प्रारंभ के पहले ही क्रूड की कीमतों में तेजी दर्ज की जा सकती है। यदि, ऐसा होता है तो चुनावी वर्ष में केंद्र सरकार को विरोध का सामना करना पड़ेगा। हालांकि बताया गया है कि, क्रूड आॅयल के दाम बढ़ने का कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसके दाम बढ़ना माना जा रहा है। उनका कहना था कि, एक या दो माह में डब्ल्यूटीआई क्रूड 64 डाॅलर के पार पहुंच सकता है तो, वह वर्तमान समय में 59.73 डाॅलर तक पहुंच गया है। यही नहीं ब्रेंट क्रूड के दाम 70 डाॅलर को पार कर सकते हैं। इस मामले में विशेषज्ञ अजय केडिया ने जानकारी देते हुए कहा कि, क्रूड आॅयल के दामों में जो उछाला आ गया है उसके दाम में तेजी देखने को नहीं मिलेगी। यदि क्रूड के दाम 65 डाॅलर तक रहे तो फिर, पेट्रोल और डीज़ल के दाम 5 से 7 रूपए तक बढ़ सकते हैं। जानकारी सामने आई है कि, तेल उत्पादन को करीब एक लाख बैरल प्रति दिन का नुकसान उठाना पड़ सकता है। पाइपलाइन के माध्यम से जिन देशों की आपूर्ति होती है वे प्रभावित हो सकते हैं। माना जा रहा है कि, जियो पाॅलिटिकल टेंशन, जियो पाॅलिटिकल टेंशन के चलते क्रूड के दाम पर असर हो सकता है। हालांकि, भारत के लिए, यह बेहतर बात है कि तेल का आयात करने वाला अमेरिका अब अपने ही देश में तेल का उत्पादन करने की दिशा में आगे बढ़ा है। उसने यह माना है कि, उसके देश में तेल उत्पादन को लेकर कार्य किया जा सकता है और, उसके यहां तेल के भंडार हो सकते हैं। मगर, ओपेक देश अपने अपने उत्पादन को कम कर सकते हैं ऐसे में माना जा रहा है कि, आॅयल के दाम फिर तेज हो सकते हैं। ऐसा वर्ष 2018 के दिसंबर माह तक चल सकता है। अर्थात् चुनावी वर्ष में लोगों को सौगात देने वाली मोदी सरकार को बतौर ईंधन या तो किसी और विकल्प को भी तलाशना होगा या फिर कच्चे तेल के दामों को संतुलित बनाकर रखना होगा। पेट्रोल के दाम उच्च स्तर पर पहुंचे पेट्रोल पम्प पर खड़े युवक को ट्रक ने कुचला... पेट्रोल पंप लूटने वाले गिरोह का सरगना हिरासत में क्या? पेट्रोल सिर्फ 22 रुपए प्रति लीटर !