हाल के वक़्त में वाहन ईंधन के दाम ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि ग्राहकों पर बढ़ी कीमतों के बोझ को कम करने के लिए केंद्र एवं प्रदेशों को चर्चा करनी चाहिए। भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-अहमदाबाद) के छात्राओं के साथ गुरुवार को परिचर्चा में सीतारमण ने कहा कि केंद्र एवं राज्यों दोनों को ईंधन पर केंद्रीय एवं राज्य टैक्स को कम करने के लिए चर्चा करनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र उपभोक्ताओं को उंचे दामों से राहत के लिए उपकर अथवा अन्य टैक्स को कम करने पर विचार कर रहा है, सीतारमण ने कहा कि इस प्रश्न ने उन्हें ‘धर्म-संकट’ में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि यह तथ्य छिपा नहीं है कि इससे केंद्र को राजस्व प्राप्त होता है। प्रदेशों के साथ भी कुछ यही बात है। 'मैं इस बात से सहमत हूं कि आमजन पर बोझ को कम किया जाना चाहिए।' इससे पहले दिन में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल पर टैक्स को कम करने के लिए केंद्र और राज्यों के मध्य समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है। सीतारमण ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग कर रहे उपभोक्ताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 से पूर्व जब कांग्रेस शासित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार सत्ता में थी, तो इसे कानून क्यों नहीं बनाया गया। दिल्ली की बॉर्डर पर बैठे अन्नदाता तीनों नए कृषि कानूनों को स्थगित करने के अतिरिक्त एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग भी कर रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि ये कानून एमएसपी के बारे में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह विरोध बीते वर्ष सितंबर में संसद में पारित कृषि कानूनों को लेकर है। इन कानूनों का एमएसपी से लेना-देना नहीं है। उन्होंने आगे कहा, ‘‘एमएसपी इन तीन कानूनों का भाग नहीं है। ऐसे में तीन कानूनों का विरोध करना तथा उसके पश्चात् एमएसपी का मसला उठाना ठीक नहीं है।’’ बिहार: नितीश सरकार का बड़ा फैसला- 'सड़क हादसे के दोषी ड्राइवर का रद्द होगा लाइसेंस' दर्दनाक हादसा: बारात लेकर जा रहे थे बाराती, रास्ते में हो गए दुर्घटना का शिकार 60 हज़ार सिक्कों से बना डाला अयोध्या राम मंदिर का स्ट्रक्चर, बेंगलुरू के कलाकारों का कारनामा