वाशिंगटन: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के चलते पसरे सन्नाटे के बीच जल्द ही तेल के दामों में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. विश्लेषकों का कहना है कि तेल की वैश्विक मांग में बड़ी गिरावट के बाद भी सऊदी अरब अपना तेल उत्पादन बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. विश्व के कई देशों में तेल के भंडारण की भी जगह नहीं बची है. ऐसे में, तेल की सप्लाई बढ़ती जाएगी जबकि डिमांड घटती जाएगी और इसका सीधा असर वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों पर पड़ेगा. चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच जनवरी महीने में सभी रिफानरियों के बंद होने के बाद से विश्वभर के तेल भंडार औसतन तीन-चौथाई भर चुके हैं. पूरे विश्व में कोरोना महामारी के बीच तेल उद्योग को आने वाले हफ्ते और महीनों में तेल को स्टोर करके रखना पड़ेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सभी मुल्कों में तेल सहित प्राकृतिक संसाधनों की खपत कम हो गई है. भारत एशिया में चीन और जापान के बाद तेल की खपत करने वाला तीसरा सबसे बड़ा मुल्क है, किन्तु यहां भी लॉकडाउन होने के चलते तेल की खपत में भारी गिरावट आई है. एनर्जी कंसल्टेंसी रिस्टैड एनर्जी के विश्लेषकों के अनुसार, कनाडा में घरेलू उत्पादन के कारण कुछ ही दिन में तेल भंडार भर सकते हैं. विश्व के बाकी देशों को भी कुछ ही महीनों में ऐसी चुनौती से जूझना पड़ेगा. तेल भंडारण में दिक्कत होने से बाजार में तेल की आपूर्ति और बढ़ जाएगी. लॉकडाउन के बीच LPG सिलिंडरों के लिए मची मारामारी, 200 फीसद बढ़ गई बुकिंग निर्मला सीतारमण की प्रेस वार्ता शुरू, आर्थिक पैकेज को लेकर हो सकता है बड़ा ऐलान लॉकडाउन के बीच पेट्रोल-डीज़ल पर प्रशासन का बड़ा फैसला, जारी किया ये आदेश