दिल्ली : सरकार से उम्मीद लगाए बैठे लोगों के लिए बुरी खबर है. मोदी सरकार फिलहाल जनता को कोई राहत देने के मूड में नहीं है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में काफी उछाल आया है. सूत्रों के मुताबिक तेल की बढ़ती कीमतों से सरकार चिंतित तो है लेकिन इसके बावजूद एक्साइज ड्यूटी में कटौती जैसे कदम उठा कर राहत देने का सरकार का कोई इरादा नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे कल्याणकारी योजनाओं के लिए फंड जुटाने और राजस्व इकट्ठा करने पर बुरा असर पड़ेगा. विपक्ष बैठक-बैठक के खेल को समझ रहा है और जनता के गुस्से को समय के साथ ठंडा हो जाने का रास्ता देखती सरकार की चाल को भी भांप रहा है. कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने और वहां नई सरकार के गठन के बाद अब उपभोक्ताओं को तत्काल राहत देने की कोई सियासी मजबूरी भी नहीं है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नवंबर में चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार के पास तेल कीमतों में सुधार होने तक के लिए पर्याप्त समय है. हालांकि कर्नाटक चुनाव के बाद लगातार कीमते बढ़ाने वाली सरकार से जनता अब ठगा हुआ महसूस कर रही है. मगर कमजोर विपक्ष सरकार की मनमानी पर अंकुश लगाने की कोशिश में जुटा हुआ है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'यह एक सुखद स्थिति नहीं है लेकिन हमें इसका सामना करना होगा. कई बार अर्थव्यवस्था के हित और वित्तीय हालात को देखते हुए कड़े फैसले लेने पड़ते हैं.' इस बीच विपक्ष ने तेल कीमतों में बढ़ोतरी पर सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा है कि तेल कीमतें बढ़ने से परिवहन भी काफी महंगा हो गया है. ईंधन को लेकर पीएम से मिलेगा शिअद प्रतिनिधिमंडल - चंदू माजरा पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में लाने पर ज्यादा असर नहीं होगा - सुशील मोदी इस देश में लोगों को गाड़ी में पेट्रोल डलवाने के लिए लेना पड़ता है कर्जा