नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम संबंधों में आपसी सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक दुष्कर्म के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया, जिसमें महिला ने आरोप लगाया था कि उसे धोखा दिया गया और शारीरिक संबंध बनाने के बाद शादी का वादा नहीं निभाया गया। कोर्ट ने कहा कि अगर शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बनाए जाते हैं, तो महिला बाद में उसे दुष्कर्म का मामला नहीं बना सकती। यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, जब संबंध लंबे समय तक सहमति से चलते हैं, लेकिन बाद में अनबन होने पर इसे बलात्कार करार दिया जाता है। यह मामला मुंबई के खारघर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से संबंधित था, जो सात साल पुराना था। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के मामलों में महिला को शुरुआत में ही शिकायत करनी चाहिए थी, जब उसे शादी का झूठा वादा किया गया था, न कि कई वर्षों बाद जब संबंधों में कड़वाहट आ जाए। सुप्रीम कोर्ट ने महिला के आचरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह एक परिपक्व व्यक्ति थीं, जो जानती थीं कि वह एक विवाहित व्यक्ति के साथ संबंध बना रही थीं। कोर्ट ने इस मामले में यह भी कहा कि लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखने के बाद दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया जा सकता। बांग्लादेश के हालात पर संसद में होगी चर्चा, पीएम मोदी खुद दे सकते हैं बयान MP में खुलेंगे 5 नए कॉलेज, टॉप-10 में शामिल होगा मध्य प्रदेश रिसर्च के लिए हड़प्पा साइट पर पहुंची IIT दिल्ली की स्टूडेंट, हुई दर्दनाक मौत