पंचांग के अनुसार, एक साल में 12 अमावस्या तिथि होती है और इसी लिस्ट में शामिल है भाद्रपद मास की अमावस्या जिसे कुशग्रहणी अमावस्या (Kushgrahani Amavasya 2022) कहा जाता है। वहीं महाराष्ट्र में इसे पिथौरी अमावस्या (Pithori Amavasya 2022) के नाम से पुकारते हैं। इसके अलावा कुछ स्थानों पर इसे पोला पिथौरा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार ये तिथि 27 अगस्त, शनिवार को है। जी हाँ और शनिवार को अमावस्या होने से ये शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) भी कहलाएगी। आपको बता दें कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस अमावस्या से जुड़ी विभिन्न परंपराएं निभाई जाती हैं और आज हम आपको पिथौरी अमावस्या के बारे में बताने जा रहे हैं। जानिए पिथौरी अमावस्या का महत्व - जी दरअसल न्यता के अनुसार, माता पार्वती ने स्वयं इस व्रत का महत्व देवराज इंद्र की पत्नी इंद्राणी को बताया था। कहा जाता है इस व्रत के शुभ प्रभाव से संतान प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर, दान और पितरों के लिए तर्पण को शुभकारी और मंगलकारी माना जाता है। आपको बता दें कि पिथौरी अमावस्या पर देवी दुर्गा की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पिथौरी अमावस्या की पूजा विधि- पिथौरी अमावस्या का व्रत सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही करती हैं। इस व्रत को करने वाली महिलाएं सुबह उठकर स्नान करें और संभव हो तो पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। अब व्रत-पूजा का संकल्प लें और पीठ का मतलब होता है आटा तो इस व्रत में आटे से देवियों की 64 प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। अब इसके बाद उनकी पूजा की जाती है और उन मूर्तियों को बेसन से बनी श्रृंगार सामग्री जैसे हार, मांग टीका, चूड़ी आदि चीजें चढ़ाई जाती हैं। ध्यान रहे इन देवियों को गुझिया, शक्कर पारे और मठरी आदि चीजों का भोग लगाया जाता है। वहीं पूजा के बाद परिवार के बड़े लोगों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। घर में लगा लें इस फूल का पौधा, हो जाएगा 'चट मंगनी पट ब्याह' अचानक रास्ते में दिख जाए ऐसा सांप तो समझ लीजिये मिलने वाली है खुशखबरी इस विधि से गणेश चतुर्थी पर स्थापित करें बप्पा की मूर्ति