आज दुनिया में कई लोग श्राद्ध कर रहे होंगे. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे कि पूर्णिमा तिथि के साथ ही आज से श्राद्ध पक्ष शुरू हो गया है और अब यह सोलह दिन तक चलेगा यानी सोलह दिन तक हमारे पितृ घर में विराजमान रहेंगे और अपने वंश का कल्याण करेंगे. उनके आने से घर में सुख-शांति-समृद्धि होगी और सभी को आज उन्हें अर्पण-तर्पण करना होगा. तो आइए जानते हैं श्राद्ध की तिथियां... 24 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध 25 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध 26 सितंबर - द्वितीय श्राद्ध 27 सितंबर - तृतीय श्राद्ध 28 सितंबर - चतुर्थी श्राद्ध 29 सितंबर - पंचमी श्राद्ध 30 सितंबर - षष्ठी श्राद्ध 1 अक्टूबर - सप्तमी श्राद्ध 2 अक्टूबर - अष्टमी श्राद्ध 3 अक्टूबर - नवमी श्राद्ध 4 अक्टूबर - दशमी श्राद्ध 5 अक्टूबर - एकादशी श्राद्ध 6 अक्टूबर - द्वादशी श्राद्ध 7 अक्टूबर -त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध 8 अक्टूबर - सर्वपितृ अमावस्या कौन कर सकता है श्राद्ध और कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध..? आपको यह भी बता दें कि पितरों की शांति के लिए क्या करना है... एक माला प्रतिदिन 'ऊं पितृ देवताभ्यो नम:' की जाप करें उसके बाद 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:'का जाप करें और या फिर भगवद्गीता या भागवत का पाठ भी आप कर सकते हैं. श्राद्ध पक्ष में भूलकर भी न करें यह 5 कार्य वरना... पितृ दोष अगर प्रबल हो तो यह उपाय कर ले - कहते हैं कि यदि कुंडली में प्रबल पितृ दोष हो तो पितरों का तर्पण अवश्य करना चाहिए और तर्पण मात्र से ही हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं. वह हमारे घरों में आते हैं और हमको आशीर्वाद प्रदान करते हैं लेकिन यदि कुंडली में पितृ दोष हो तो इन सोलह दिनों में तीन बार एक उपाय करना होगा. आपको सोलह बताशे लेने होंगे फिर उनपर दही रखकर उन्हें पीपल के वृक्ष पर रखना होगा इस वजह से आपको पितृ दोष में राहत मिलेगी. आपको यह उपाय पितृ पक्ष में तीन बार करना है. पितृ पक्ष 2018: जानिए पूर्णिमा श्राद्ध का समय और सभी मुहूर्त पितृ पक्ष 2018: क्यों कहा जाता है कनागत, जानिए क्या है श्राद्ध पितृ पक्ष में लगाए यह पौधा, प्रसन्न हो जाएगी आपके पूर्वजों की आत्मा