आज पितृपक्ष का पहला दिन है. जी हाँ, आज से पितृपक्ष शुरू हो गए हैं. ऐसे में आप सभी जानते ही होंगे परिवार के जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है, उन्हें पितृ कहा जाता है. कहते हैं जब तक कोई व्यक्ति मृत्यु के बाद पुनर्जन्म नहीं ले लेता, तब तक वह सूक्ष्मलोक में रहता है और इन पितरों का आशीर्वाद सूक्ष्मलोक से परिवार जनों को मिलता है. वहीँ पितृपक्ष के दौरान इनके लिए तर्पण करना चाहिए. आपको बता दें कि इस बार पितृपक्ष 02 सितम्बर से 17 सितंबर तक रहेगा. पितृपक्ष में कैसे करें पितरों को याद? - कहा जाता है पितृपक्ष के दिन अपने पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित करना चाहिए. ध्यान रखे कि यह जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय दे. इस दौरान जल में काला तिल मिला ले और हाथ में कुश रखे. वहीँ इस बात का भी ध्यान रखे कि जिस दिन पूर्वज की देहांत की तिथि होती है, उस दिन अन्न और वस्त्र का दान करते हैं. इसके आलावा उसी दिन किसी निर्धन को भोजन करवाते हैं जिससे पितृपक्ष के कार्य समाप्त हो जाते हैं. कौन पितरों के लिए श्राद्ध कर सकता है? - इसके लिए घर का वरिष्ठ पुरुष सदस्य अहम होता है जो नित्य तर्पण करता है. जी दरअसल अगर वह नहीं है तो उसके अभाव में घर को कोई भी पुरुष सदस्य यह कर सकता है. इसके आलावा पौत्र और नाती को भी तर्पण और श्राद्ध का अधिकार दिया गया है. आज के समय में तो स्त्रियां भी तर्पण और श्राद्ध करती हैं. जी दरअसल इस अवधि में दोनों वेला स्नान करना चाहिए और अपने पितरों को याद करना चाहिए. इसी के साथ कुतप वेला में पितरों को तर्पण देना चाहिए. क्या हैं पितृपक्ष के नियम? - ध्यान रहे तर्पण में कुश और काले तिल को शामिल करे. इनके साथ तर्पण करना अच्छा होता है. जी दरअसल जो कोई भी पितृपक्ष का पालन करने वाला होता है उसे इस अवधि में केवल एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. इसके साथ ही पितृपक्ष में सात्विक आहार खाएं, प्याज लहसुन, मांस मदिरा से परहेज करना चाहिए और दूध का कम से कम उपयोग करना चाहिए. जेल से रिहा होते ही UP सरकार के लिए डॉक्टर कफील खान ने कही यह बात ENG vs PAK T20: इस बल्लेबाज की धुआंधार पारी से पाकिस्तान को मिली जीत अठावले ने दी सिब्बल-आजाद को ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसा बनने की सलाह