हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष शुरू होते हैं जो इस बार 20 सितंबर से शुरू हो गए हैं। अब अगली अमावस्या तक पितरों को श्राद्ध अर्पित किया जाने वाला है। आप सभी को बता दें कि पितृपक्ष के दौरान सभी अपने पूर्वजों को याद करते हैं और श्राद्ध अर्पित कर उनकी आत्‍मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म करेंगे। हालाँकि कुछ ऐसे काम भी हैं जो पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष में नहीं करने चाहिए। आइए हम आपको बताते हैं। * कहते हैं पितरों की पूजा के दौरान लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितरों के लिए जो भोजन तैयार किया जाता है या फिर जिसमें भोजन परोसा जाता है, उसमें लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा पितर नाराज हो जाते हैं। * कहा जाता है पितृपक्ष में श्राद्ध करते समय शरीर पर तेल का प्रयोग और पान का सेवन करने से बचना चाहिए। इसी के साथ ही अगर संभव हो सके तो दाढ़ी और बाल भी नहीं कटवाने चाहिए और इस दौरान इत्र का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। * पितृपक्ष के दौरान अपने मन, वाणी और तन पर पूरा संयम रखना चाहिए। * कहा जाता है पितृ पक्ष के दौरान यमराज सभी पितरों को 15 दिन के लिए आजाद कर देते हैं ताकि वो श्राद्ध का अन्न और जल ग्रहण कर सकें। ऐसे में इस दौरान हर व्यक्ति को श्राद्ध करना चाहिए, लेकिन गलती से भी सूर्यास्त के बाद श्राद्ध नहीं करना चाहिए। * कहते हैं पितृ पक्ष के दौरान बुरी आदतों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। जी हाँ, इस दौरान नशे और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। * कहा जाता है पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए और इस समय सादा जीवन जीना चाहिए और कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए। * इस दौरान पिंडदान, तर्पण करने वाले व्यक्ति को बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए, और ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस: हम एक-दूसरे के शत्रु नहीं हैं..., जानिए इस दिवस का उद्देश्य और इतिहास सामाजिक कार्यकर्ता और आर्यसमाजी नेता के साथ-साथ शिक्षक और वकील भी रहे थे स्वामी अग्निवेश पंजाब: सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, तनख्वाह में 15 फीसदी इजाफा