आप सभी को पता ही होगा कि आज गुरुवार दिनांक 04.10.18 है और आज आश्विन कृष्ण दशमी पर दसवीं का श्राद्ध मनाया जा रहा है. ऐसे में दशमी का पार्वण श्राद्ध उन पूर्वजों को निमित करते हैं, जिनकी मृत्यु शुक्ल या कृष्ण पक्ष की दशमी पर हुई हो और पूर्णा संज्ञक दशमी तिथि के स्वामी यम कहे जाते हैं. कहते हैं यमराज परम भागवत, बारह भागवताचार्यों में से एक, दक्षिण दिशा के दिक् पाल, महिषवाहन दण्डधर और मृत्यु देव माने गए हैं और दशमी तिथि में यम पूजन से सर्व बाधा का अंत होता है. इस श्राद्ध में परवल का दान व उपयोग शुभ नहीं माना जाता है और इस श्राद्ध में विष्णु के नीलाभ स्वरूप का पूजन कर गीता के दशम अध्याय का पाठ करते हैं तो लाभ मिलता है. ऐसे में शास्त्रनुसार दशमी तिथि को श्राद्ध कर्म करने वाला श्राद्ध कर्ता ब्रह्मत्व लक्ष्मी प्राप्त करता हुआ धन क्षेत्र में वृद्धि पाता है. अब आइए जानते हैं श्राद्ध विधि: घर की दक्षिण दिशा में दक्षिणमुखी होकर सफ़ेद कपड़ा बिछाकर पितृयंत्र, चित्र व यमराज का चित्र स्थापित करें इसके बाद जनेऊ राइट कंधे से लेकर लेफ्ट की तरफ रखे और तिल के तेल का दीप व सुगंधित धूप करें. इसके बाद चंदन, सफेद फूल व तिल चढ़ाएं और भोग में धुली मूंग दाल, सब्जी, पूड़ी व केसर की खीर का भोग लगाएं. सीके बाद आप लौंग व मिश्री चढ़ाएं. अब नीलाभ का स्मरण करते हुए तुलसीपत्र चढ़ाएं व भागवत गीता के दशम अध्याय का पाठ कर लें और पितृ के निमित इस मंत्र ( शल मंत्र: ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि। तन्नो यम: प्रचोदयात्॥) का जाप करें. कहते हैं कि श्राद्ध में चढ़े भोग में से पहले श्याम गौ, कौए, काले कुत्ते व जलचर के लिए ग्रास अलग से निकालकर खिलाना चाहिए और ब्राह्मणीयों को भोजन करवाकर, दक्षिणा देनी चाहिए. श्राद्ध महूर्त: दिन 11:46 से दिन 15:40 तक पितृपक्ष: श्राद्ध में ना खाए बासी भोजन वरना.. पितृपक्ष: इस वजह से अमावस्या को करते हैं श्राद्ध