देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान सरकार ने प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए योजना तैयार की है. इस योजना के तहत अन्य राज्यों से अपने घर लौटकर आए मजदूरों को उनकी दिलचस्पी एवं अनुभव के आधार पर काम दिलाया जाएगा. मजदूरों को राज्य सरकार के कौशल एवं आजीविका मिशन के द्वारा अलग-अलग कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण के बाद इन मजदूरों को फैक्ट्रियों, ईंट भट्टों, माइंस सहित अन्य संस्थानों में नियुक्ति दिलाने का काम जिला उधोग केंद्र के अधिकारी करेंगे. अमेरिका में घटा मौत का आंकड़ा, जानें इन दो देशों का क्या है हाल आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मजदूरों के वेतन से लेकर उनके अवकाश सहित अन्य सुविधाओं को तय करने का काम भी ये अधिकारी संस्थान के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर करेंगे. राज्य के श्रम मंत्री टीकाराम जुली ने बताया कि यदि किसी मजदूर का घर रोजगार के स्थान से दूर गांव में है तो उसके फैक्ट्री अथवा माइंस पर रहने की व्यवस्था की जाएगी. कोरोना के एंटीडोट को लेकर आई बड़ी खबर, इस तरीके से रोका जा सकता है वायरस अपने बयान में उन्होंने कहा कि श्रमिक कल्याण कोष के माध्यम से रोजगार मिलने तक मजदूरों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी. श्रम मंत्री ने बताया कि जिला कलेक्टरों से कहा गया है कि वे नियमित रूप से उधोगपतियों एवं बड़े व्यापारिक संस्थानों के संपर्क में रहकर अन्य राज्यों से आए मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने का प्रयास करें . साथ ही, श्रम मंत्री ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए श्रमिकों के लिए सरकार ने 'लेबर एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज' बनाया गया है. यहां मजदूर अपना पंजीकरण करा सकेंगे. लॉकडाउन के कारण संकट का सामना कर रहे श्रमिकों को लेबर एम्पलॉयमेंट एक्सचेंज के जरिए उनके कौशल के अनुरूप रोजगार मिल सकेगा. लॉकडाउन में करीब 10 लाख के आसपास प्रवासी मजदूर प्रदेश में बेरोजगार हैं . सीएम योगी की मेहनत हुई सफल, स्वस्थ होकर घर लौट रहे कोरोना मरीज भारत समेत कई दशों ने WHO से की कोविड-19 के खिलाफ अपनी भूमिका निभाने की मांग ब्राज़ील में कोरोना वायरस का टूटा कहर, हर दिन बढ़ रहे नए मामले