अन्याबाई ने करीब चार साल पहले जब अपने स्कूल की टीम को स्टेट लेवल फुटबॉल मैच में जीत दिलाकर 54,000 रुपये का प्राइज जीता था, तब उसकी उम्र 15 साल थी और प्राइज का वो अमाउंट उसकी मां के पूरे साल की कमाई से ज्यादा थी. अन्याबाई हरियाणा के भिवानी डिस्ट्रिक्ट हेडक्वाटर्स से 30 किलोमीटर दूर अलखपुरा के एक गरीब व दलित परिवार की हैं. वह जब महज दो साल की थी तभी दिल का दौरा पड़ने से उसके पिता का निधन हो गया था. मां माया देवी को परिवार के चार सदस्यों की परवरिश का भार उठाना पड़ा. फुटबॉल खेलना शुरू करने के कुछ ही साल बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व किया. स्कूल की कोच सोनिका बिजारनिया ने कहा कि नेशनल लेवल का एक मैच खेलने के लिए करीब 50,000-60,000 रुपये मिलते हैं. पिछले साल कुछ ही मैच खेलने पर उसे तकरीबन 2.5 लाख रुपये मिले. वह हर साल दो-तीन मैच खेल लेती हैं. इस प्रकार फुटबाल से न सिर्फ उसकी जिंदगी को एक मकसद मिला और उसने हाई लेवल पर देश का रीप्रजेंट किया, बल्कि इससे उसे अपने परिवार को गरीबी से उबारने में भी मदद मिली. अन्याबाई ने 2017 में साउथ एशिया फुटबॉल फेडरेशन (SAF) टूर्नामेंट के अंडर-15 कैटेगरी के मैच में हिस्सा लिया था. अन्याबाई के परिवार में उनकी मां के अलावा एक भाई और एक बहन है. माया देवी ने कहा, "पूरे परिवार में किसी ने अबतक इतनी उपलब्धि हासिल नहीं की है." अन्याबाई ने कहा- "बेशक, जिंदगी बदल गई है. मुझे जो स्कॉलरशिप मिला, उससे मैंने गांव में दो कमरे का घर बनाया. जब मैं गांव से बाहर या देश से बाहर जाती थी तो अनजान जगह को लेकर डर बना रहता था. लेकिन अब यह बिल्कुल अलग अनुभव दिलाता है." आईएसएसएफ विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचे शाहजार रिजवी अब ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी सीखेंगे नैतिकता का सबक शाल्के ने दिखाया मैक्स मेयर को बाहर का रास्ता