नई दिल्ली: देश में कोरोना महामारी का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्यों और केंद्र सरकार की सभी कोशिशों के बाद भी रोज़ाना नए केस बढ़ते ही जा रहे हैं. इस बीच देश की सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका लगाई गई है, जिसमें सरकार पर सही तरीके से काम न करने का आरोप लगाया गया है. उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय में कोरोना महामारी के कथित कुप्रबंधन को लेकर शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक आयोग के जरिए स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका लगाई गई है. इस याचिका पर शीर्ष अदालत शुक्रवार को सुनवाई कर सकता है. याचिका में सरकार पर कोरोना से निपटने में कुप्रबंधन का इल्जाम लगाया गया है. इस बाबत छह पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दाखिल की है. जिसमें देश के नागरिकों के जीवन और आजीविका पर महामारी के प्रभाव को अहम बताया गया है. शीर्ष अदालत में दाखिल की गई याचिका में एक आयोग का गठन कर इस केस की जांच कराने की मांग की गई है. जानकारी के अनुसार, जस्टिस एल नागेश्वर राव के नेतृत्व वाली पीठ शुक्रवार को मामले की सुनवाई कर सकती है. भारत में सक्रीय कोरोना मामलों के आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी का प्रसार अब धीमा पड़ने लगा है. जुलाई के अंतिम सप्ताह के मुकाबले अगस्त के पहले हफ्ते में सक्रीय मामलों की संख्या तक़रीबन आधी हो गई है और इसी अवधि में रिकवरी रेट में लगभग 40 फीसदी की वृद्धि हुई है. गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने किया दावा, नवम्बर में निश्चित शेड्यूल पर ही होगा फ़िल्म फेस्टिवल केंद्रीय आयुष मंत्री को हुआ कोरोना, बोले- मेरे संपर्क में आए लोग करा लें जांच केरल विमान हादसा: दुर्घटना के बारे में जांच अधिकारी ने बोली यह बात