नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायलय में सोमवार को एक याचिका दाखिल करके अनुरोध किया गया है कि केंद्र, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को उच्च न्यायालय और उससे संबंधित अदालतों में जजों की संख्या दोगुनी करने के लिए कदम उठाने और तीन वर्षों में मामलों के निस्तारण संबंधी न्यायिक घोषणा पत्र लागू करने का निर्देश दिया जाए. बता दें कि देश के 25 उच्च न्यायालयों के लिए जजों के कुल 1,079 पद स्वीकृत हैं और ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इनमे से 414 पद रिक्त हैं. भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल की है और इसमें सभी उच्च न्यायालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय को पक्ष बनाया गया है. याचिका में कहा गया है कि देश में लोअर कोर्ट्स से लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगभग पांच करोड़ से अधिक मामले विचाराधीन हैं और उनके निस्तारण में देरी से नागरिकों के तुरंत न्याय संबंधी मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. याचिका में कहा गया है कि मामलों की सुनवाई में जान-बूझकर और अत्यधिक देरी अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. तेजी से न्याय का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, जिसे छीना नहीं जा सकता. इसके साथ ही कहा कि ये जीवन के अधिकार और स्वतंत्रता के अधिकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यदि निष्पक्ष एवं तत्काल न्याय नहीं मिलता है, तो न्यायिक प्रक्रिया निरर्थक है. सऊदी अरब ने एक और सप्ताह तक अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के निलंबन का किया विस्तार छात्र संघ चुनाव चाहने वाले छात्रों के खिलाफ राजद्रोह का मामला हुआ दर्ज अब ITR भरना हुआ और भी आसान, SBI की इस सर्विस से चुटकियों में भरें इनकम टैक्स