नई दिल्ली: पुणे से दिल्ली आई तीन सहेलियों ने हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह पर महिलाओं को प्रवेश नहीं दिए जाने के नियम को चुनौती देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका डाली है. उन्होंने तर्क दिया है कि "पैग़ंबर अब्राहम उस समय तक अपना खाना नहीं खाते थे जब तक उनके साथ खाने के लिए कोई अन्य व्यक्ति न बैठा हो. कई बार तो वे साथ खाने वाले की तलाश में मीलों दूर तक निकल जाया करते थे. एक बार उन्हें एक ऐसा शख़्स मिला जो बहुत से धर्मों को मानता था. पैग़ंबर को उससे खाने के लिए पूछने में असमंजस महसूस हुआ, तभी एक दिव्य वाणी ने उनसे कहा हे अब्राहम! हम इस शख़्स को जीवन दे सकते हैं लेकिन तुम इसे खाना नहीं दे सकते." सचिन पायलट और अशोक गहलोत के साथ राहुल गांधी की बैठक खत्म, जल्द होगा सीएम के नाम का एलान "अब आप ही बताइए जब ख़ुदा इंसान में फ़र्क़ करने से इंकार करता है, तो क्या मर्द और औरत में फ़र्क़ करना सही है...? ये सही नहीं है और इसीलिए हमने जनहित याचिका दायर की है." उनका कहना है कि जब मर्द दरगाह के भीतर जा सकते हैं तो औरतें क्यों नहीं. एक ओर इन लड़कियों की दलीलें हैं वहीं दरगाह समिति अपनी कई सौ सालों पुरानी परंपराओं का हवाला देती है और इसे सही ठहरा रही है. तुर्की की राजधानी में हुआ हाई स्‍पीड ट्रेन एक्‍सीडेंट आपको बता दें कि शिवांगी कुमारी, दीबा फ़रयाल और अनुकृति सुगम पुणे के बालाजी लॉ कॉलेज में बीए (एलएलबी) की चौथे साल की छात्राएं हैं. तीनों ही मूलरूप से झारखण्ड की रहने वाली हैं और पुणे में रहकर वकालत की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. तीनों इंटर्नशिप करने दिल्ली आई हुई थीं. हाईकोर्ट के अधिवक्ता कमलेश कुमार मिश्रा के साथ ये तीनों सहेलियां इंटर्नशिप कर रही थीं. खबरें और भी:- तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने खुद को बताया भारत का बेटा रुपये और बॉण्ड में आई तेजी, नवंबर के महंगाई आंकड़ों का दिखा असर सरकार ने किए पत्नियों को छोड़ने वाले 33 प्रवासी भारतीयों के पासपोर्ट रद्द