एकादशी पर इस पूजा-विधि से करें भगवान विष्णु को प्रसन्न

इस समय सावन का पावन महीना चल रहा है। सावन माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में एकादशी की बेहद ज्यादा अहमियत होती है। प्रत्येक माह में दो बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। वर्ष में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। एकादशी का पावन दिन प्रभु श्री विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि- विधान से प्रभु श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रभु श्री विष्णु की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी डेट, और पूजा विधि...

पुत्रदा एकादशी डेट:- पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त, 2022 को है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं।

एकादशी व्रत पूजा सामग्री लिस्ट:- श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति पुष्प नारियल  सुपारी फल लौंग धूप दीप घी  पंचामृत  अक्षत तुलसी दल चंदन  मिष्ठान

पूजा विधि:-  प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। प्रभु श्री विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। प्रभु श्री विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। यदि संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। प्रभु श्री विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर सम्मिलित करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के प्रभु श्री विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन प्रभु श्री विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 

एकादशी की आरती:- ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता । विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।   तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी । गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।   मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी। शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।   पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है, शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।   नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै। शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।   विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी, पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।   चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली, नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।   शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी, नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।   योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी। देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।   कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए। श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।   अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला। इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।   पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी। रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।   देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया। पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।   परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।। शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।   जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै। जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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