आज नवमी पर इन मंत्र और स्तोत्र, कवच से करें माँ को प्रसन्न

नवरात्रि का नौवां दिन मतलब कि रामनवमी बहुत अहम मानी जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की नवमी 30 मार्च 2023 को है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इसी के साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है. मां सिद्धिदात्री अपने श्रद्धालुओं को रोग, शोक और भय से ​मुक्त करती हैं तथा उन्हें मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि मां सिद्धिदात्री से ही सभी देवी देवताओं ने सिद्धियां प्राप्त की है. ऐसे में चलिए जानते हैं माता सिद्धिदात्री  के मंत्र, स्तोत्र और कवच के बारे में...

माँ सिद्धिदात्री उपासना मंत्र:- सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैररमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

माँ सिद्धिदात्री ध्यान:- वन्दे वांछितमनरोरार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्। कमलस्थिताचतुर्भुजासिद्धि यशस्वनीम्॥ स्वर्णावर्णानिर्वाणचक्रस्थितानवम् दुर्गा त्रिनेत्राम। शंख, चक्र, गदा पदमधरा सिद्धिदात्रीभजेम्॥ पटाम्बरपरिधानांसुहास्यानानालंकारभूषिताम्। मंजीर, हार केयूर, किंकिणिरत्नकुण्डलमण्डिताम्॥ प्रफुल्ल वदनापल्लवाधराकांत कपोलापीनपयोधराम्। कमनीयांलावण्यांक्षीणकटिंनिम्ननाभिंनितम्बनीम्॥

माँ सिद्धिदात्री स्तोत्र:- कंचनाभा शंखचक्रगदामधरामुकुटोज्वलां। स्मेरमुखीशिवपत्नीसिद्धिदात्रीनमोअस्तुतेघ् पटाम्बरपरिधानांनानालंकारभूषितां। नलिनस्थितांपलिनाक्षींसिद्धिदात्रीनमोअस्तुतेघ् परमानंदमयीदेवि परब्रह्म परमात्मा। परमशक्ति,परमभक्तिसिद्धिदात्रीनमोअस्तुतेघ् विश्वकतींविश्वभर्तीविश्वहतींविश्वप्रीता। विश्वद्दचताविश्वतीतासिद्धिदात्रीनमोअस्तुतेघ् भुक्तिमुक्तिकारणीभक्तकष्टनिवारिणी। भवसागर तारिणी सिद्धिदात्रीनमोअस्तुते।। धर्माथकामप्रदायिनीमहामोह विनाशिनी। मोक्षदायिनीसिद्धिदात्रीसिद्धिदात्रीनमोअस्तुतेघ्

माँ सिद्धिदात्री कवच:- ओंकाररू पातुशीर्षोमां, ऐं बीजंमां हृदयो। हीं बीजंसदापातुनभोगृहोचपादयोघ् ललाट कर्णोश्रींबीजंपातुक्लींबीजंमां नेत्र घ्राणो। कपोल चिबुकोहसौरूपातुजगत्प्रसूत्यैमां सर्व वदनोघ्

मां सिद्धिदात्री के मंत्र:- सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि, सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॐ सिद्धिदात्र्यै नम: विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु, त्वयैकया पूरकिम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति: सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी, त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तय: नन्दगोप गृहे जाता योशोदा-गर्भ-सम्भवा, ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

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