पीएम मोदी ने नेतान्याहू से की बात, मिडिल ईस्ट में मचे घमासान पर हुई चर्चा

नई दिल्ली: 30 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की, जिसमें पश्चिम एशिया के हालिया घटनाक्रमों पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के लिए दुनिया में कोई जगह नहीं है और सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह जानकारी साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय तनाव को कम करना और शांति को बहाल करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है जब पश्चिम एशिया में स्थिति लगातार बिगड़ रही है। पिछले साल अक्टूबर में फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर हमला किया था, और 1200 से ज्यादा लोगों को मार डाला था और सैकड़ों लोगों को बंधक बना लिया। जिसके बाद से इजराइल लगातार अपने लोगों को छुड़ाने के लिए हमास पर पलटवार कर रहा है। इस संघर्ष के बीच, यमन के हौथी विद्रोहियों ने भी इज़रायल और लाल सागर के अन्य देशों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही, इजरायल लेबनान में हिज़्बुल्लाह के खिलाफ भी हमले जारी रखे हुए है।

27 सितंबर को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि अगर हमास अपने हथियार डाल देता है और बंधकों को रिहा कर देता है, तो युद्ध समाप्त हो सकता है। हालांकि, नेतन्याहू ने यह भी साफ कर दिया कि इजरायल तब तक लड़ता रहेगा जब तक उसे "पूर्ण विजय" नहीं मिल जाती। उन्होंने ईरान को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि इजरायल की पहुंच पूरे मध्य पूर्व में है और वह ईरान के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकता है।

नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में अपने भाषण के दौरान हमास पर मानवीय सहायता चुराने और इसे ऊंची दरों पर बेचने का आरोप लगाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हमास सत्ता में बना रहा, तो वह फिर से संगठित होकर इजरायल पर हमला करेगा। उन्होंने कहा, "हमास को जाना ही होगा।" इज़रायल ने अब तक 154 बंधकों को छुड़ाया है, जिनमें से 117 जीवित हैं। नेतन्याहू ने बंधक परिवारों से वादा किया कि इजरायल तब तक चैन से नहीं बैठेगा जब तक कि सभी बंधक वापस नहीं लौट आते। उन्होंने कहा कि यह एक पवित्र मिशन है और इज़रायल इसे पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

नेतन्याहू ने अपने भाषण में यह भी कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने का इरादा नहीं रखते थे, लेकिन कई नेताओं द्वारा इजरायल पर लगाए गए झूठे आरोपों को सुनने के बाद, उन्होंने सच्चाई को उजागर करने के लिए वहां आने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा, "इज़रायल शांति चाहता है और हमेशा से शांति के लिए प्रयास करता रहा है।" उन्होंने जोर दिया कि इजरायल को क्रूर दुश्मनों से लड़ना होगा, जो न केवल इजरायल को, बल्कि पूरी सभ्यता को खत्म करना चाहते हैं।

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