नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में नोटबन्दी के दौरान एक सहकारी बैंक और एक माँ -बेटे द्वारा करोड़ों के कालेधन को सफ़ेद करने के सबसे बड़े मामलों में से एक शुमार होने की जानकारी मिलने से सभी हतप्रभ है. अब आयकर विभाग की अन्वेषण शाखा ने कर नियमों के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है. मिली जानकारी के अनुसार आयकर विभाग ने राजकोट के एक सहकारी बैंक में भारी विसंगतियों का मामला पकड़ा है, अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल नौ नवंबर से 30 दिसंबर के बीच 871 करोड़ रुपये जमा किये गये, जिनमें ज्यादातर 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट थे. उसी अवधि में 108 करोड़ रुपये संदिग्ध तरीके से निकाले गये. बता दें कि जांच दल ने 25 बड़ी राशियों की पहचान करते हुए कथित कमजोर केवाइसी नियमों से कथित संदिग्ध एवं असंतोषजनक तरीके से 30 करोड़ रुपये का लेनदेन किया गया. एक विशेष बात यह कि कई निष्क्रिय खातों में 10 करोड़ रुपये जमा किये गये. उनमें एक पेट्रोलियम फर्म का खाता था, जिसमें 2.53 करोड़ रुपये जमा किये गये. गौर करने वाली बात यह है कि जाँच में नोटबंदी के बाद 4,551 नये खाते खोले गये, जबकि पूरे साल में सामान्यत: औसत 5000 ऐसे खाते खुले. 62 खाते तो एक ही मोबाइल नंबर से खोले गये. जमा करने के लिए भरी गयी पर्चियों में भारी विसंगतियां थीं. एक में भी पैन नंबर नहीं दिया गया था. कई में तो जमाकर्ता के हस्ताक्षर भी नहीं थे. किसी भी पर्ची में इन रकम के स्रोत का दर्शानेवाले दस्तावेज भी नहीं थे. प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बैंक के पूर्व निदेशक के बेटे को 30 बैंक खातों में नकद जमा से एक करोड़ रुपये मिले. सारी जमा पर्चियां एक ही व्यक्ति ने भरीं. बैंक के उपाध्यक्ष की मां को भी 64 लाख रुपये नकद जमा मिले, जिसे आखिरकार एक ज्वैलर को ट्रांसफर किया गया.रुपयों का लेन-देन आरटीजीएस और अन्य बैंकिंग अंतरण उपायों से हुआ. इन दोनों लोगों के बयान शीघ्र ही दर्ज किये जायेंगे. नये खातों में जमा की गई बड़ी रकम का संबंध साझे पते और फोन नंबर से था. उनमें से एक नये बैंक खाते में 1.22 करोड़ रुपये जमा कराया जाना है और सभी के सभी आपस में एक दूसरे से जुड़े थे. राजकोट के इस सहकारी बैंक का मामला अति महत्वपूर्ण मामलों में एक बन गया है, बंद कमरे के भीतर एक महीने तक नाबालिग के साथ चलता रहा हवस का खेल 700 लोगों की मदद से यहां से वहां की करोड़ों...