नई दिल्ली: पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 'ग्लोबल आयुर्वेद फेस्टिवल' के चौथे संस्करण कार्यक्रम को संबोधित किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि ''आयुर्वेद भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है. इसे समग्र मानव विज्ञान (होलिस्टिक ह्यूमन साइंस) की तरह माना जा सकता है. प्लांट से लेकर आपकी प्लेट तक, शारीरिक मजबूती से लेकर मानसिक कल्याण तक, आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा का प्रभाव अत्यधिक है.'' वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनज़र पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि ''वर्तमान की स्थिति आयुर्वेद के लिए एकदम सही समय प्रस्तुत करती हैं. पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर मशहूर होने का पूरा अवसर देती हैं. अभी भी इनके प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है. दुनिया देख रही है कैसे मॉडर्न और ट्रेडिशनल दोनों ही तरह की चिकित्सा आदमी के स्वास्थ्य के लिए जरुरी हैं. लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद के योगदान को लोग पहचान रहे हैं. स्वास्थ्य पर्यटन (wellness tourism) पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, ''आप अपने शरीर का उपचार चाहते हैं, चाहे अपने मस्तिष्क का. दोनों ही स्थिति में भारत आइए.'' इस दौरान पीएम मोदी ने वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया. उन्होंने बताया कि कैसे आयुष मिशन, आयुष मेडिसिन को सस्ते और किफायती पैसों पर जनता तक पहुंचा रहा है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि, ''हमारे यहां की आयुर्वेदिक और अन्य पारंपरिक चिकित्साओं से जुड़ी नीतियां पहले से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति (2014-2023) से जुड़ी हुई है. WHO ने भी भारत में 'ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन' स्थापित करने का ऐलान किया है.' फरवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में हुई 5.03 प्रतिशत की वृद्धि गडकरी ने ऑटो इंडस्ट्री को मेक इन इंडिया को अपनाने के लिए कहा वित्त मंत्रालय सेबी को स्थायी बांड पर परिपत्र वापस लेने की बात कही