कोरोनावायरस से मुकाबले के लिए पीएम राहत कोष में कंपनियों की ओर से किए जाने वाले अंशदान को कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत किया गया खर्च माना जाएगा. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी. कंपनियों ने सामाजिक कल्याण से जुड़ी गतिविधियों के लिए पिछले पांच साल में 52,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. देश कोरोनावायरस से जूझ रहा है. इस संक्रामक बीमारी से अब तक करीब 1,000 से अधिक लोग पीड़ित बताए जा रहे हैं. सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए कई तरह के उपायों की घोषणा की है. कोरोना संकट के बीच ही 10 बैंकों का विलय करेगी सरकार, बनेंगे चार बड़े बैंक इस मामले को लेकर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा कि PM-CARES Fund में अंशदान को कंपनी कानून के मुताबिक CSR मद में किया गया खर्च माना जाएगा. कंपनी अधिनियम, 2013 के मुताबिक लाभ कमा रही कंपनियों को तीन वर्ष के सालाना औसत शुद्ध लाभ का दो फीसद तक CSR गतिविधियों पर खर्च करना होता है. यह प्रावधान एक अप्रैल, 2014 से अस्तित्व में आया. विदेशी मुद्रा भंडार पर 'कोरोना' का असर, आई 12 साल की सबसे बड़ी गिरावट आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने रविवार को कहा कि वृहद तौर पर तस्वीर है कि पिछले पांच साल में कंपनियों ने CSR मद में 52,000 करोड़ रुपये खर्च किए. उन्होंने कहा, ''कुछ कंपनियां सीएसआर मद में खर्च नहीं कर रही हैं. वहीं कुछ कंपनियां तय सीमा से कम खर्च कर रही हैं. वहीं, कुछ कंपनियां CSR मद से ज्यादा खर्च कर रही हैं. 50 फीसद से ज्यादा कंपनियां अपनी पूरी सीएसआर जिम्मेदारी निभा रही हैं.'' गिरावट में उठाना है फायदा तो, इन फंड्स में लगाए पैसा शेयर बाजार : इस सिद्धांत के बल पर नुकसान से बचाएं अपना पोर्टफोलियो लॉकडाउन के दौरान कंडोम की बिक्री बढ़ी, बाज़ार में हुई किल्लत