क्या होगा, क्या नहीं, कैसे मैं बताऊँ, यहाँ हर क्षण भगवान् की देन है खुशियाँ है, दुःख है कुछ अचानक से आते नकारात्मक विचार हैं| हर ओर निराशा है, बच्चों का बचपन चार दीवारों में कैद है| क्या यह कुदरत का कहर है? हमें क्या करना है, यही सोचना है, कैसे जीना है, इस निराशा में आशा खोजना है, कहना आसान है, करना मुश्किल है पर जब तक जीना है आशा का घूंट पीना है| खुश रहना है, खुशियां बाँटना है| जिंदगी जीना है, फिर मुस्कुराना है| फिर मुस्कुराना है| - डॉ मोनिका सिंह बिरयानी में नहीं मिला एक्स्ट्रा लेग पीस तो शख्स ने मंत्री को किया ट्वीट, ओवैसी ने दिया जवाब- तुरंत मदद करो... जो बिडेन ने किया वित्त वर्ष 22 के लिए 6 ट्रिलियन बजट का खुलासा अन्ना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एम आनंदकृष्णन का निधन