आज भी मेरी फरमाइशें कम नही होती, तंगी के आलम में भी, पापा की आँखें कभी नम नहीं होती. हैँ समाज का नियम भी ऐसा पिता सदा गम्भीर रहे, मन मे भाव छुपे हो लाखोँ, आँखो से न नीर बहे! करे बात भी रुखी-सूखी, बोले बस बोल हिदायत के, दिल मे प्यार है माँ जैसा ही, किंतु अलग तस्वीर रहे! खुशियों से भरा हर पल होता हैं, जिन्दगी में सुनहरा हर कल होता हैं, मिलती हैं कामयाबी उन को जिनके सर पर पिता का हाथ होता हैं. बच्चे मेरी ऊँगली थामे, धीरे -धीरे चलते थे, फिर वो आगे दौड़ गये, मैं तन्हाँ पीछे छूट गया. अगर मैं रास्ता भटक जाऊ, मुझे फिर राह दिखाना, आपकी जरूरत मुझे हर कदम पर होगी, नही हैं दूजा कोई पापा आपसे बेहतर चाहने वाला. नसीब वाले हैं जिनके सर पर पिता का हाथ होता हैं, ज़िद पूरी हो जाती हैं सब गर पिता का साथ होता हैं. पिता हारकर बाज़ी हमेशा मुस्कुराया, शतरंज की उस जीत को मैं अब समझ पाया. न हो तो रोती हैं जिदे, ख्वाहिशों का ढेर होता हैं, पिता हैं तो हमेशा बच्चो का दिल शेर होता हैं.