हुस्न की मिसाल देती बेहतरीन शायरियां

दुनिया में तेरा हुस्न मेरी जां सलामत रहे सदियों तलक जमीं पे तेरी कयामत रहे

 

क्या तुझे कहूं तू है मरहबा. तेरा हुस्न जैसे है मयकदा मेरी मयकशी का सुरूर है, तेरी हर नजर तेरी हर अदा_

 

मेरी निगाह-ए-इश्क भी कुछ कम नही, मगर, फिर भी तेरा हुस्न तेरा ही हुस्न है…

 

जिस मोड़ पे तू मिल गई वहां एक नई राह खुल गई तू नए किरण की बहार है अब रात भी मेरी ढल गई

 

मेरा इश्क भी, तेरा हुस्न भी गजलों में आके घुल गई मेरी शायरी की किताब तू कभी खो गई, कभी मिल गई

 

किसका चेहरा अब मैं देखूं…? . चाँद भी देखा…! फूल भी देखा…!! बादल बिजली…! तितली जुगनूं…!! कोई नहीं है ऐसा…! तेरा हुस्न है जैसा…!!

 

शरीके-ज़िंदगी तू है मेरी, मैं हूँ साजन तेरा ख्यालों में तेरी ख़ुश्बू है चंदन सा बदन तेरा . अभी भी तेरा हुस्न डालता है मुझको हैरत में मुझे दीवाना कर देता है जलवा जानेमन तेरा

 

तेरी तरफ जो नजर उठी वो तापिशे हुस्न से जल गयी तुझे देख सकता नहीं कोई तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं

 

तुझे क्या कहूं तू है मरहबा. तेरा हुस्न जैसे है मयकदा मेरी मयकशी का सुरूर है, तेरी हर नजर तेरी हर अदा

तेरे इख़्तियार में है फिजा, तू खिज़ां का जिश्म सवार दे मुझे रूह से तू नवाज दे, मुझे जिंदगी से न कर जुदा

 

तेरा हुस्न जब से मेरी आँखों में समाया है, मेरी पलकों पे एक सुरूर सा छाया है, मेरे चेहरे को हसीन नूर देने वाले, ये तेरे दीदार के लम्हों का सरमाया है.

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