इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सिंध प्रांत के उमरकोट में डॉक्टर शाहनवाज का हालिया एनकाउंटर एक बड़ा विवाद बन गया है। पुलिस ने उन पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उन्हें फर्जी एनकाउंटर में मार डाला था। अब सिंध सरकार की एक कमिटी ने इस मामले की जांच के बाद खुलासा किया है कि यह एनकाउंटर एक सुनियोजित योजना के तहत किया गया था, जिसमें DIG स्तर के अधिकारी भी शामिल थे। सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि कमिटी की 31 पन्नों की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि डॉक्टर शाहनवाज को पहले ही पुलिस द्वारा पकड़ लिया गया था और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था। लेकिन बाद में मीरपुर ख़ास पुलिस ने उनकी हत्या कर दी। उनके शव के साथ भी बर्बरता की गई, जिसमें कट्टरपंथियों ने उनके शव को जलाने की कोशिश की। यह घटना इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा पुलिस अधिकारियों को हार पहनाने के साथ समाप्त हुई, जिन्होंने इस फर्जी एनकाउंटर को सही ठहराने का प्रयास किया। अब सिंध सरकार ने इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। डॉक्टर शाहनवाज के खिलाफ लगे ईशनिंदा के आरोप ने पाकिस्तान में एक उथल-पुथल मचाई थी। 17 सितंबर को उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपशब्द कहे, जिसके बाद उनके कुछ सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हुए। उन्हें अस्पताल से बर्खास्त कर दिया गया और कट्टरपंथियों ने उनकी गिरफ्तारी की मांग की। इस घटना ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों का रूप ले लिया, जिसमें पुलिस अधिकारियों पर हमले भी हुए। इस मामले ने यह सवाल उठाया है कि पाकिस्तान जैसे इस्लामी मुल्क में किसी पर भी ईशनिंदा का आरोप लगाना कितना आसान है। चाहे वह व्यक्ति सच में ईशनिंदा करता हो या नहीं, इसकी सच्चाई को बताने वाला कोई नहीं होता। इस संदर्भ में यह कहना उचित होगा कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों के कारण निर्दोष लोगों की जान लेना एक गंभीर मुद्दा है, जो मानवाधिकारों और न्याय की प्रक्रिया को चुनौती देता है। 'चुनाव बाद PoK भी भारत में होगा..', कश्मीर में सीएम योगी का बड़ा बयान 'हिन्दुओं को काशी-मथुरा सौंप दें मुसलमान..', पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने क्यों कही ये बात ? 'गंगाजल छिड़का, गोमूत्र पिलाया…', BJP विधायक ने कांग्रेस पार्षदों को ऐसे किया शुद्ध