गुजरात में एक 14 साल की मासूम से रेप की घटना के बाद उत्तर भारतीयों के खिलाफ हिंसा शुरू हो गई है। गैर गुजरातियों के साथ गुजरात में मार—पीट की जा रही है और अब तक वहां से बिहार और उत्तर प्रदेश के 8000 से ज्यादा लोग हिंसा के डर से पलायन कर चुके हैं। इस सबके बीच जो एक बात उभर कर आई है, वह है इस मसले को लेकर हो रही सियासत। सियासतदार इस पूरे मसले को एक मौके के तौर पर देख रहे हैं और उसे भुनाने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। बीजेपी हो या कांग्रेस या फिर बसपा, सपा, जेडीयू, आरजेडी या फिर कोई अन्य राजनीतिक पार्टी सब इस मसले को लेकर जिस तरह से एक—दूसरे पर आरोप—प्रत्यारोप लगा रहे हैं, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि यह मसला एक बच्ची से दुष्कर्म और निर्दोषों से बदसलूकी का न होकर कोई सियासी मसला है। एक ऐसा सियासी मसला जिस पर राजनेता लड़ रहे हैं। एक—दूसरे को धमकी दे रहे हैं। जेडीयू और आरजेडी ने इस मामले को लेकर कांग्रेस से जवाब मांगा। कहा कि उनकी पार्टी के विधायक के समर्थन से बिहारियों को पीटा जा रहा है, तो कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी की सरकार होने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा, तो बीजेपी ने कांग्रेस पर सियासत का आरोप लगाया। इस सबमें किसी ने भी एक बार उस मासूम के बारे में बात नहीं की, जो दुष्कर्म का शिकार हुई है। वह बच्ची कैसी है, यह किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं है। आरोप—प्रत्यारोपों के बीच न तो इन लोगों ने उन निर्दोषों के बारे में जानने की जहमत उठाई, जो दो जून की रोटी कमाने गुजरात गए थे और अब वहां से भाग रहे हैं। जब भी हमारे देश में ऐसी वारदातें होती हैं, तो हमारे तथाकथित रहनुमा अपनी राजनीति खेलने लगते हैं और सियासत के इस खेल में उन्हें न तो यह ख्याल रहता है कि जिस मसले पर वह सियासत कर रहे हैं, वह मसला कितना संवेदनशील है। इन्हें तो केवल अपनी राजनीतिक कुर्सी टिकाने की फिक्र होती है, फिर वह कुर्सी किसी मासूम की चीखों पर टिके या फिर किसी निर्दोष की आह पर... तीखे बोल ऐसे न रूठा करो... कटाक्ष: सफाई में भी सफाई कटाक्ष: जाति है कि जाती नहीं