कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक ताजपुर पोर्ट है, जिसे विकसित करने के लिए पहले गौतम अडानी की कंपनी को ठेका दिए जाने का फैसला लिया गया था, किन्तु पिछले दिनों कोलकाता में बिजनेस समिट के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि ताजपुर पोर्ट के लिए नए सिरे से टेंडर जारी किए जाएंगे। सीएम ममता के इस बयान से लग रहा था कि 26 विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन का हिस्सा होने के कारण TMC सुप्रीमो ने अडानी से दूर रहने का फैसला लिया है। इसका एक कारण ये भी माना जा रहा था कि ममता की पार्टी TMC की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा पर पैसे और महंगे उपहार लेकर संसद में अडानी के खिलाफ तमाम सवाल पूछा जाने का इल्जाम लगा है। लेकिन, अब ताजपुर पोर्ट और अडानी ग्रुप को लेकर नई अपडेट सामने आई है। बंगाल सरकार में उद्योग, वाणिज्य और उद्यम मंत्री शशि पांजा ने बताया है कि ताजपुर पोर्ट को लेकर अडानी समूह और राज्य सरकार में चर्चा चल रही है। शशि पांजा ने दावा किया कि भाजपा का ये कहना गलत है कि अडानी समूह के ताजपुर पोर्ट विकास योजना से हटने के चलते ये प्रोजेक्ट लटक गया है। ममता सरकार में मंत्री शशि पांजा ने कहा है कि प्रोजेक्ट पर काम जारी है और अडानी समूह से भी बातचीत चल रही है। उन्होंने इन खबरों को भी गलत करार दिया कि अडानी ग्रुप से प्रोजेक्ट को लेकर चल रही बातचीत में कोई रुकावट आई थी। शशि पांजा ने कहा कि केंद्र सरकार ने ही ताजपुर पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं और गृह मंत्रालय ने सशर्त सुरक्षा मंजूरी प्रदान की है। शशि पांजा ने कहा कि ताजपुर पोर्ट के विकास के लिए पहले जो लेटर ऑफ़ इंटेंट (LOI) जारी किया गया था, वो अस्थायी था और सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को दिया गया था। गत वर्ष जब कोलकाता में ममता सरकार ने बिजनेस समिट का आयोजन किया था, उस वक्त ताजपुर पोर्ट का काम अडानी समूह को देने की घोषणा की गई थी। जिसके बाद बंगाल में अडानी ग्रुप द्वारा 25000 करोड़ का निवेश किए जाने का रास्ता साफ हो गया था। हालाँकि, गौर करने वाली बात ये है कि भाजपा विरोधी विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन में शामिल कांग्रेस और अन्य पार्टियां निरंतर आरोप लगाती रहती हैं कि अडानी और अंबानी को मोदी सरकार ने शह दे रखी है। INDIA गठबंधन के प्रमुख नेता राहुल गांधी तो यहाँ तक कह चुके हैं कि, मोदी सरकार अडानी के ही इशारे पर काम करती है। हालाँकि, ये एक प्रमाणित तथ्य है कि, कई कांग्रेस शासित राज्यों ने अडानी समूह को प्रोजेक्ट दे रखे हैं। इसके बाद भाजपा के नेताओं ने पुछा था कि अडानी ग्रुप को तो बंगाल में भी पोर्ट प्रोजेक्ट मिला हुआ है। वहीं, बीते दिनों हुए बिजनेस समिट में मुकेश अंबानी पहुंचे थे और उन्होंने बंगाल में और 20000 करोड़ का निवेश करने की घोषणा की थी, उस समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी वहीं मौजूद थी। इस पर सीएम ममता ने ताली बजाकर मुकेश अंबानी की इस घोषणा का स्वागत भी किया था। हालाँकि, इससे ये तो स्पष्ट हो गया है कि राहुल गांधी या अन्य नेता कितना ही अडानी-अंबानी के खिलाफ बोलते रहें, लेकिन सरकार का काम करने का तरीका अलग है। उन्हें राज्यों में रोजगार पैदा करने के लिए निवेश की आवश्यकता होती है और उद्योगपति वो निवेश प्रदान करते हैं। यही कारण है कि, सरकार चाहे कांग्रेस की हो, भाजपा की हो, या TMC की, सभी ने किसी न किसी स्तर पर उद्योगपतियों को प्रोजेक्ट दे रखे हैं। बिहार में 65% आरक्षण पर कानून तो बन गया, लेकिन क्या दे सकेगी नितीश सरकार ? इस कानूनी चुनौती को करना होगा पार क्या दक्षिण भारत में जन्म ले रहा 'कांग्रेस-विरोधी' मोर्चा ? सीएम स्टालिन का अखिलेश यादव को निमंत्रण, राहुल-खड़गे का बहिष्कार ! 'सिगरेट की कीमतें और बढ़ा दो..', आम बजट से पहले केंद्र सरकार से डॉक्टरों और अर्थशास्त्रियों की मांग