प्रोजेक्ट कई सारे बनाये होंगे आपने स्कूल और कॉलेज में. कई बार ऐसे मुद्दे भी मिल जाते हैं जिससे देश के कुछ हिस्सों को जानने का मौका मिलता है. ऐसे ही एक शख्स ने अपनी अच्छी खासी डिग्री को छोड़कर गाय के गोबर से बनी कलात्मक वस्तुएं बेचने लगा. उन्होंने बताया कि ये काम उन्हें रिसर्च में पता चला. इसके अलावा उन्होंने अपना पूरा अनुभव साझा किया है. यह अनुभव है प्रभातमणि त्रिपाठी और अनुज राठी का, जो मालवा उत्सव में गाय के गोबर से बनी कलात्मक वस्तुएं लेकर आए हैं. भोपाल से शहर आए ये दो युवा प्रोफेशनल डिग्री और नौकरी छोड़कर यह काम कर रहे हैं. प्रभातमणि ने कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की है और अनुज ने एमबीए किया है. इस बारे में प्रभात बताते हैं कि जब गायों पर शोध किया तो पाया कि गाय भले ही दूध न दे सके, लेकिन गौमूत्र और गोबर का उपयोग तो किया ही जा सकता है. 100 गायों के गोबर का इस्तेमाल 2015 से उन्होंने यह बिजनेस शुरू किया. इसमें गोबर से सजावटी व गृह उपयोगी वस्तुएं बनाकर उन्हें बेचना शुरू किया. वंदनवार, पेन स्टैंड, मोबाइल स्टैंड, पेंटिंग, घड़ियां गोबर से बनाईं. इनको बनाने के लिए जरूरी है कि गोबर दो घंटे से ज्यादा पुराना न हो. गोबर दो गौशालाओं व कुछ किसानों से लेते हैं. खास बात तो यह है कि इन वस्तुओं के उत्पादन के लिए उन्हीं गायों का गोबर खरीदा जाता है, जो दूध नहीं दे सकती हैं. इस तरह हम गौशाला की 65 व किसानों से 30 गायों का गोबर हर रोज एकत्रित करते हैं. एक गाय से मिलने वाले गोबर के एवज में प्रतिदिन 25 रुपए देते हैं, जिससे गौशाला वाले उनका भरण पोषण करते हैं. मशीन से शीट बनाकर बनती है खूबसूरत वस्तुएं गोबर को पहले पानी और कपड़े से साफ किया जाता है. फिर उसे वास्तविक रूप से सूखने के लिए रख देते हैं. इसके बाद मशीन की मदद से उसकी शीट बनाई जाती है. शीट बनने के बाद उसे मनचाहे शेप में काटकर उस पर सजावट की जाती है. वर्तमान में 7 लोगों की टीम इसके निर्माण में लगी है. इसे ग्रामीण महिलाओं द्वारा सजाया जा रहा है. 8 बच्चों ने मिलकर बनाया पानी पिलाने वाला अनोखा रोबोट 400 साल पुराना है यह मंदिर, साफ शब्दों में क्यों लिखा- हम इस प्रथा का विरोध करते हैं. Brothers Day पर भाई को भेजें ये खास कोट्स, दिन बनेगा स्पेशल