प्रदोष व्रत प्रभु शिव की खास कृपा पाने का दिन है, जो प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है उसे बुध प्रदोष कहते हैं। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत पड़ता है। बुध प्रदोष व्रत करके आप अपने बच्चों के ज्ञान तथा स्वास्थ्य की उन्नति एवं कल्याण की प्रार्थना कर सकते हैं। प्रदोष व्रत का पूजन शाम के वक़्त सूर्यास्त से पूर्व और बाद में किया जाता है। आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत में पूजन विधि के बारे में।।। बुध प्रदोष के दिन नहाकर साफ हल्के कलर के कपड़े पहनें। प्रभु श्री गणेश जी के समक्ष घी का दीया जलाकर गं मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान शिव के मंत्र नमः शिवाय का जाप करें। शाम के वक़्त प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत (दूध दही घी शहद और शक्कर) से नहलाएं उसके पश्चात् शुद्ध जल से नहलाकर रोली मौली चावल धूप दीप से पूजा करें। भगवान शिव को सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं। आसन पर बैठकर शिवाष्टक का पाठ करें और सारे कष्ट तथा दोषों को समाप्त करने की कामना भगवान शिव से करें। बच्चों की जन्मकुंडली के लग्न भाव मे पापी ग्रहों के होने तथा लग्नेश के नीच राशि मे जाने से स्वास्थ्य में रुकावटें आती है। स्वास्थ्य के कारक सूर्य पीड़ित होने से भी स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है। बुधवार के दिन देसी घी का चौमुखी दीपक शाम के वक़्त शिवलिंग के समीप जलाएं तथा शिव चालीसा का तीन बार पाठ करें। ऐसा करने से बच्चों की सेहत की परेशानी समाप्त होगी। बच्चों की सेहत की दिक्कत समाप्त होने पर बीमार बच्चों को दवा तथा कपड़ों का दान अवश्य करें। एकादशी पर करें ये उपाय, दूर होंगे सारे कष्ट पापांकुशा एकादशी पर इस तरह करें पूजा, खत्म होंगे कई पीढ़ियों के पाप भगवद्गीता में मौजूद है ये 8 महत्वपूर्ण बातें