ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। जी हाँ और इस बार प्रदोष व्रत में काफी अच्छा संयोग यानी शिव और सिद्धि योग बना रहा है। इस बार रविवार के दिन प्रदोष होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। आप सभी को बता दें कि प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्व है। जी दरअसल इस दिन विधिवत तरीके से भगवान शिव की पूजा करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और भोलेनाथ की कृपा से सुख-शांति बनी रहती हैं। आपको बता दें कि इस माह रवि प्रदोष व्रत 12 जून, रविवार को पड़ रहा है। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व। रवि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त- ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 12 जून, रविवार को सुबह 03 बजकर 23 मिनट तक ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का समापन: 13 जून, सोमवार को सुबह 12 बजकर 26 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त- रवि प्रदोष 12 जून को शाम 07 बजकर 19 से लेकर रात 09 बजकर 20 मिनट तक शिव योग- 11 जून सुबह 08 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 12 जून शाम 05 बजकर 27 मिनट तक सिद्ध योग - 12 जून शाम 05 बजकर 27 मिनट से 13 जून दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक रवि प्रदोष व्रत का महत्व- जी दरअसल स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत के लाभों के बारे में बताया गया है। कहते है जो कोई भी इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के साथ व्रत रखता है, उसे संतोष, धन और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसी के साथ प्रदोष व्रत सभी इच्छाओं की पूर्ति के लिए भी रखा जाता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की एक झलक भी आपके सभी पापों को समाप्त कर देगी और आपको भरपूर आशीर्वाद और सौभाग्य प्रदान करेगी। निर्जला एकादशी: हाथों को देखकर पढ़े यह मंत्र, हर मनोकामना होगी पूरी आज है निर्जला एकादशी, इन मन्त्रों के जाप से प्रसन्न होंगे श्री विष्णु गंगा दशहरा: पुण्य प्राप्ति के लिए आज जरूर पढ़े श्री गंगा चालीसा