'यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा देना सही नहीं..', बाबा साहेब आंबेडकर ने पोते ने कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल

नई दिल्ली: आतंकी यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने के NIA कोर्ट के फैसले को वकील प्रकाश आंबेडकर ने गलत ठहराया है। उन्होंने UAPA की धाराओं में यासीन को उम्रकैद की सजा पर सवाल खड़े किए हैं। प्रकाश ने कहा है कि NIA कोर्ट ने यासीन मलिक को UAPA की उन धाराओं के तहत दोषी करार दिया है, जिन्हें हमारा कानून अस्तित्वहीन मानता है। बता दें कि प्रकाश आंबेडकर, संविधान निर्माता डॉ। भीमराव आंबेडकर के पोते हैं। प्रकाश वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी के प्रमुख भी हैं।

प्रकाश ने कहा कि धारा 124(1) और 124(ए) देशद्रोह कानून एक औपनिवेशिक कानून है, जिसे लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा इंग्लैंड में ख़त्म कर दिया गया है। वकील प्रकाश आंबेडकर ने बताया कि संसद ने 44वें संशोधन में उपखंड 4 और उपखंड 7 को हटा दिया है। ऐसे में कोई उपखंड 4 या उपखंड 7 बचा ही नहीं है। जब संविधान में ये दो उपखंड नहीं हैं और 1967 के रोकथाम अधिनियम को संसद ने अलग रखा है। ऐसे में इसे किसी भी अदालत द्वारा लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये कानून मौजूद ही नहीं है।

मगर उस हिंसा का क्या, जिसमें इतने लोगों की जान चली गई और यासीन मलिक को इसके लिए दोषी ठहराया गया है। इस सवाल को प्रकाश आंबेडकर ने जायज ठहराते हुए कहा कि ना केवल कश्मीर में बल्कि भारत के अन्य हिस्सों में बम धमाकों के चलते कई लोगों ने जान गंवाई है। इन धमाकों को भारतीयों ने अंजाम दिया है या बाहर के लोगों ने, इसकी जांच की जरूरत है और सजा कोर्ट तय करेगी।

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