Movie Review : पुरानी फिल्मों की घीसी पीटी कहानी 'प्रणाम', न देखना ही होगा बेहतर

फिल्म : प्रणाम  कलाकार : राजीव खंडेलवाल, समीक्षा, अतुल कुलकर्णी, अभिमन्यु सिंह, विक्रम गोखले, एस एम जहीर निर्देशक : संजीव जायसवाल  मूवी टाइप : ऐक्शन,ड्रामा अवधि : 2 घंटा 2 मिनट रेटिंग : 2/5

 

कहानी : बहुत ही सामन्य सी कहानी है इस फिल्म की जहां लखनऊ जैसे छोटे शहर का लड़का अजय सिंह (राजीव खंडेलवाल) आइएएस बनने की तैयारी कर रहा है. उसका पिता दीनानाथ (एस एम जहीर) प्यून की नौकरी करता है, मगर पार्ट टाइम वेटर का काम करके अपने बेटे को ऊंची पढ़ाई करवाना चाहता है. बेटे को कुछ बनाने के लिए वो काफी मेहनत करता है. अजय सिंह के साथ आइएएस की तैयारी करनेवाली अमीर घर की लड़की मंजरी शुक्ला (समीक्षा) अजय से प्यार करती है. वहीं उनके शहर का गुंडा गनु भैया (अभिमन्यु सिंह) पॉलिटिशन्स के साथ मिलकर अपनी गुंडई के दम पर पेपर लीक करवा कर उन्हें ऊंचे दामों पर बेचता है. लेकिन इस बार उसका पाला यूनिवर्सिटी के ईमानदार तेज प्रताप सिंह (विक्रम गोखले ) से पड़ता है. 

इसके बाद वही वे लोग साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल करके पेपर लीक करके तेज प्रताप को फंसा देता है. मगर हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि तेज प्रताप सिंह की बेटी को गनू भैया के गुंडों से बचाने के चक्कर में उसके हाथों गनु भैया का कत्ल हो जाता है. केस को इन्वेस्टिगेट करनेवाला करप्ट पुलिस अफसर राजपाल सिंह (अतुल कुलकर्णी) अजय को कत्ल ही नहीं बल्कि पेपर लीक स्कैम का लीडर बनाकर पेश करता है. उसके बाद अजय पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है और बदला लेने के लिए वह कलम छोड़कर बंदूक उठाने पर मजबूर हो जाता है. इसके बाद होता  है एक्शन जिसे आप फिल्म में देख सकते हैं. 

निर्देशन : निर्देशक संजीव जायसवाल पर अस्सी की फिल्मों का गहरा प्रभाव रहा है. यही वजह है कि वह उस दौर के फॉर्म्युला अपना कर नई फिल्म बनाने में लगे लेकिन कुछ खास नहीं कर पाए. फिल्म में हद से ज्यादा मेलोड्रामा है. यह बात बिलकुल हजम नहीं होती कि पूरी फिल्म में बेचारा हीरो विलेन से मात खाता रहता है और अंत में उसके साथ सबकुछ अच्छा हो जाता है. इसके अलावा गाने भी जबरदस्ती के थे. 

ऐक्टिंग : राजीव खंडेलवाल ने अजय सिंह के रोल को बेहतर करने की कोशिश की. लेकिन स्टूडेंट के रूप में कुछ खास अच्छे नहीं लगे. मंजरी की भूमिका में समीक्षा औसत रही हैं. फिल्म में अभिमन्यु सिंह, अतुल कुलकर्णी, विक्रम गोखले और एस एम जहीर जैसे समर्थ अदाकरों की मौजूदगी भी फिल्म को मजबूती नहीं दे पाती, क्योंकि उनके किरदार भी लाउड हैं. 

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