प्रणव मुखर्जी को आरएसएस के बुलावे पर चिदंबरम की राय

दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर बवाल थमा नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सीके जाफर शरीफ ने मुखर्जी को खत लिखकर संघ के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की बात कह दी. वही पी. चिदंबरम ने उम्मीद जताई है कि पूर्व राष्ट्रपति संघ को उसी के मंच से नसीहत देंगे.

चिदंबरम ने बुधवार को कहा, 'अब जब उन्होंने न्योते के स्वीकार कर लिया है तो इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने क्यों स्वीकार किया. उससे ज्यादा अहम बात यह कहनी है कि सर आपने न्योते को स्वीकार किया है तो वहां जाइए और उन्हें बताइए कि उनकी विचारधारा में क्या खामी है. ' 

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने 7 जून को नागपुर में होने वाले एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को न्योता दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. संघ के कार्यक्रम के लिए मुखर्जी को बुलावा भेजे जाने के बाद से इस पर सियासत भी शुरू हो गई. दरअसल प्रणव मुखर्जी को संघ का न्योता सियासी पंडितों के लिए इस लिहाज से हैरान करने वाला है कि अपने 5 दशक से ज्यादा लंबे सियासी करियर में मुखर्जी ने हमेशा संघ की मुखालफत की है. रोचक बात यह है कि प्रणव मुखर्जी ही वह शख्स हैं, जिन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के प्लेनरी सेशंस के उन सभी प्रस्तावों को तैयार किया है जिनमें संघ को आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने और सांप्रदायिकता के लिए दोषी ठहराया गया है.

 

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