नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चर्चित अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के नियमों के उल्लंघन का गंभीर इल्जाम लगा दिया है. बुधवार (6 दिसंबर) को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दो वकीलों और एक पत्रकार के विरुद्ध केसों को सूचीबद्ध किए जाने पर शिकायत भी कर दी है. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि रजिस्ट्री ने न्यायमूर्ति त्रिवेदी के समक्ष केस को लिस्ट करके मनमाने ढंग से सुप्रीम कोर्ट के लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन भी कर दिया है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ को एक किनारे कर डाला है. इन मामलों को माननीय CJI के समक्ष रखा जाना था. त्रिपुरा से संबंधित है मामला: ख़बरों का कहना है कि वकील भूषण में जिस मामले को लेकर यह इल्जाम लगाया है, वह त्रिपुरा से संबंधित है. नवंबर 2021 में, एक वकील और पत्रकार की सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से सांप्रदायिक हिंसा के केस में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के अंतरगत याचिका दर्ज की थी जिसकी सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ करने में लगे हुए है. अदालत ने त्रिपुरा राज्य और केंद्र सरकार को उस याचिका पर नोटिस भी पेश कर दिया था, इस केस को रद्द करने की मांग की गई थी. इसके साथ साथ यूएपीए की धारा 2 (1) (ओ) की वैधता को चुनौती दी गई थी जो 'गैरकानूनी गतिविधि' को परिभाषित भी करती है. भूषण ने रजिस्ट्री को लिखे अपने पत्र में बोला है कि सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठों ने जिसके उपरांत भी इस मामले में आदेश पारित किए थे. दूसरी पीठ के समक्ष लिस्ट कर दिया गया मामला: प्रशांत भूषण ने इल्जाम लगाया है कि यूएपीए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं को न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति त्रिवेदी (पीठ के जूनियर न्यायाधीश) की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध भी कर दिया है. बता दें कि भूषण ने दावा किया कि यह मामलों की स्वचालित सूची के लिए नई योजना के खंड 15 का उल्लंघन है, क्योंकि केस को सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ का पालन करना चाहिए. क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश?: बहरहाल, 31 अक्टूबर, 2023 के एक आदेश में, न्यायमूर्ति बोस और त्रिवेदी की पीठ ने निर्देश दिया कि केस को "उचित पीठ के समक्ष" सूचीबद्ध किया जाए. हालांकि खंड 15 के अनुसार केस को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध करने के अलावा इसे 29 नवंबर को न्यायमूर्ति त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर दिया गया, जो अब पीठ की अध्यक्षता भी करते है. भूषण ने इस बारें में बोला है कि सनी के लिए लंबित मामले वरिष्ठ पीठासीन न्यायाधीश का अनुसरण करते हैं. वरिष्ठ पीठासीन न्यायाधीश के उपलब्ध नहीं होने पर ही उन्हें अन्य न्यायाधीश के समक्ष सूचीबद्ध भी किया जा रहा है. जस्टिस चंद्रचूड़ की उपलब्धता के बावजूद किसी अन्य पीठ में मामले को लिस्ट करने के इस कदम को प्रशांत भूषण ने 'आश्चर्यजनक' करार दे डाला है. संबंधित रजिस्ट्रार से 10 जनवरी तक 'मनमानी में सुधार' करने का अनुरोध किया, जब मामले को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाने वाला है. भूल नहीं सुधारने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी: इतना ही नहीं भूषण ने अपनी बात को जारी रखते हुए यह भी अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता को अवगत कराया जाए कि क्या मामले को न्यायमूर्ति बोस या न्यायमूर्ति त्रिवेदी के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए कोई विशिष्ट प्रशासनिक निर्देश है. ऐसा नहीं करने पर उन्होंने कानूनी कदम उठाने की भी चेतावनी दी है. CM पद को लेकर कैलाश विजयवर्गीय का आया बड़ा बयान, बोले- 'रविवार को खत्म हो जाएगा सस्पेंस...' उज्जैन में बनने जा रहा है 'महाशिवलिंग', 1600 छोटे-छोटे शिवलिंगों से होगा निर्माण बाथरूम में फिसलकर गिरे तेलंगाना के पूर्व सीएम KCR, अस्पताल में हुए भर्ती