गड़बड़ी कोरी कल्पना है ईवीएम मशीन में डॉ एम एस गिल

देश में हर साल कोई -न कोई चुनाव होते ही रहते है इन चुनावों को भारत सरकार दुवारा बना आयोग करता है  उन चुनाव में वोट डालने के लिए जिस मशीन का उपयोग किया जाता है  वे ईवीएम मशीन है जिसकी सुरक्षा पर हर बार सवाल उठाएं जाते रहे है इसी के चलते कोर्ट से लेकर चीफ इलेक्शन कमिश्नर तक ईवीएम की अभेद्य सुरक्षा की कई बार तस्दीक कर चुके हैं. जिसको लेकर हालही में गिल ने बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है इसमें गड़बड़ी का आरोप कोरी कल्पना है    गिल ने कहा है कि जब वो मुख्य चुनाव आयुक्त थे .तो उनके समय 1997 में पहली बार ईवीएम का उपयोग चुनाव हुए था. तब पहली बार जयपुर में ईवीएम मशीन को समजाने को लेकर केम्प का आयोजन किया था इस केम्प में मशीन की गुणवत्ता और जनता के बिच के महत्व को समजाते हुए, मुहर बनाम मशीन पर प्रतिक्रिया दी गई इसके लिए सड़कों और नुक्कड़ों पर तम्बू लगाए गए. इसमें महिलाओं को बुला-बुलाकर कहते कि बगल के तम्बू में जाकर नए तरीके से वोट डालकर आओ.   जबकि मेक इन इंडिया का सबसे जोरदार ब्रांड ईवीएम हैं. अब तो इतनी तादाद में हैं कि किसी अफसर को पता नहीं होता कि कौन सी ईवीएम किधर जानी है. ऐसे में कोई गड़बड़ कैसे करेगा. जबकि निर्माता कम्पनी एक बार प्रोग्रामिंग करने के बाद खुद भी चिप में बदलाव नहीं कर सकती. ये दरअसल बर्नसीडी और डीवीडी जैसा ही होता है. इसमें रीराइट जैसा कोई विकल्प है ही नहीं. ऐसे में गड़बड़ी का आरोप कोरी कल्पना है

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