नई दिल्ली: अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देते हुए भारत सरकार ने लक्षद्वीप क्षेत्र में सैन्य हवाई क्षेत्र बनाने की एक बड़ी योजना को मंजूरी दे दी है। ये फैसला क्षेत्र में बढ़ती चीनी गतिविधियों पर नजर रखने और अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए लिया गया है। रक्षा सूत्रों ने बताया है कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। रक्षा सूत्रों के अनुसार, सैन्य मामलों के विभाग के नेतृत्व में तीनों सेनाओं का प्रस्ताव मिनिकॉय द्वीप में एक नया एयरबेस बनाने और भारत के पश्चिमी हिस्से में अरब सागर में अगत्ती द्वीप पर मौजूदा एयरफील्ड का विस्तार करने का है। दोहरे उद्देश्य वाले ये हवाई अड्डे, जिनका उपयोग वाणिज्यिक एयरलाइनों द्वारा भी किया जाएगा, सभी प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमानों के साथ-साथ लंबी दूरी के ड्रोनों की तैनाती और संचालन करने में सक्षम होंगे और इस क्षेत्र में भारतीय सेनाओं को बढ़त प्रदान करेंगे। उल्लेखनीय है कि, यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब चीनी नौसेना लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही है और इस क्षेत्र में पाकिस्तानी नौसेना के साथ मिलकर काम कर रही है। भारतीय वायु सेना इस परियोजना में अग्रणी होगी, जिसके तहत वहां एक सैन्य सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसका उपयोग तीनों रक्षा बलों और भारतीय तटरक्षक द्वारा किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय के तहत भारतीय तटरक्षक बल मिनिकॉय द्वीप समूह में हवाई पट्टी के विकास का सुझाव देने वाला पहला बल था। वर्तमान प्रस्ताव के अनुसार, मिनिकॉय से संचालन चलाने के लिए भारतीय वायु सेना अग्रणी भूमिका में होगी। इसके साथ मिनिकॉय में हवाई अड्डा रक्षा बलों को अरब सागर में निगरानी के अपने क्षेत्र का विस्तार करने की क्षमता भी प्रदान करेगा। मिनिकॉय में हवाई अड्डा क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा, जैसा कि सरकार ने योजना बनाई है। मिनिकॉय द्वीप मालदीव से लगभग 50 मील की दूरी पर हैं। मानसून सत्र में ये 6 बिल पेश करने जा रही केंद्र सरकार, अगर हंगामा ना हुआ तो... क्या श्रीलंका के खिलाफ ODI सीरीज नहीं खेलेंगे कोहली और रोहित ? बतौर कोच गंभीर की पहली परीक्षा लंदन से भारत लौटेगा छत्रपति शिवाजी महाराज का ऐतिहासिक 'वाघ नख', इसी से किया था अफजल खान का वध