ये होता है, जब कोई समाज के वंचितों, पीड़ितों के बीच से गुजरकर, राष्ट्र के सर्वोच्च संविधानिक पद तक पहुंचता है। उसे पता होते हैं, लोगों के दर्द, उनकी आँखों से छलके आंसू, साल-दर-साल पीड़ा झेलते फरियादियों की व्यथा और वही व्यक्ति सही मूल्यों में उन कष्टों को समझ सकता है। आज जो महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने कहा है, वो उनका वास्तविक अनुभव है, उनकी आँखों देखी सच्चाई है कि, किस तरह इंसाफ की राह देखते-देखते लोगों का जीवन गुजर जाता है, लेकिन उनकी फरियाद दबी की दबी रह जाती है। हमें गर्व है कि, हमारे देश में ऐसी राष्ट्रपति हैं, जो गरीब से गरीब तबके का दुःख-दर्द समझती हैं और इंसाफ दिलाने के लिए उनकी आवाज़ बनती हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने न्यायापालिका के बारे में बात करते हुए बोला कि कई सारे केस ऐसे हैं, जो कि पेंडिग पड़े हुए है। उन्होंने कहा कि कई लोग मेरे पास आते हैं, और कहते हैं कि हमने केस तो जीत लिया, लेकिन जिस तरह का न्याय मिलना चाहिए उस तरह का न्याय नहीं मिला। कई बार केस जीतने के बाद भी अदालत के आदेश का पालन नहीं होता, तो उसके लिए कंटेम्प्ट यानी अवमानना का केस लगाना पड़ता है, जिसके बाद वही प्रक्रिया फिर से शुरू होती है, जिसमे 10 से 20 साल वापस लग जाते हैं। कुछ लोगों को केस के बारे में सटीक जानकारी नहीं होती हैं कि आगे क्या प्रोसेस करना है। अगर हमने इस तरह की प्रोसेस की तो हमें फिर से वहीं लंबी पूरी प्रोसेस से गुजरना पड़ेगा क्या? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सीजेआई चंद्रचूड़ और बाकी के जजेस से कहा कि, इन सब का रास्ता खोजें और लोगों को सही मायने में न्याय दिलाया जाए। जिससे लोगों को कम तकलीफ का सामना करना पड़े। अब 2013 वाला 'भारत' नहीं रहा, 10 सालों में की जबरदस्त तरक्की, इंडियन इकॉनमी पर Morgan Stanley की डिटेल रिपोर्ट पीएम मोदी नमूने, सेंगोल 'जादू' और 'पहेली' ! अमेरिका से राहुल गांधी का भारत सरकार पर हमला, लगे 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे बुलन्दशहर: 4 मंदिरों पर हमला, 12 देव प्रतिमाएं तोड़ीं..! ग्रामीणों के आक्रोश, मौके पर भारी पुलिसबल तैनात