राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अकेले पड़े केजरीवाल

नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए सरकार की ओर से भाजपा द्वारा तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति बनाने की घोषणा के साथ ही राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की हलचल तेज हो गई है. समिति सदस्य गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त व रक्षा मंत्री अरुण जेटली और सूचना प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू राजनीतिक पार्टियों से राष्ट्रपति उम्मीदवारी पर चर्चा कर सहमति बनाने के प्रयास करेंगे. जबकि दूसरी ओर राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों की समिति भी बन गई है. इस दल की बैठक आज होगी. सोनिया गांधी की अध्यक्षता में सभी विपक्षी पार्टियां एक जुट हो चुकी हैं, 'आप' को छोडकर.

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी बिलकुल अकेली पड़ गई है. वह न तो एनडीए के खेमें में हैं और ना ही विपक्ष के. खबर है कि कांग्रेस नहीं चाहती है कि आम आदमी पार्टी, बीजेपी के खिलाफ बन रहे संयुक्त विपक्ष में रहे. गौरतलब है कि पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल की तृणमूल चीफ ममता बनर्जी, सीपीएम प्रमुख सीताराम येचुरी और जेडीयू लीडर शरद यादव से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद AAP के विपक्षी खेमे में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे. इस बीच खबर है कि विपक्षी खेमे में AAP की एंट्री का कांग्रेस, एनसीपी और कुछ दूसरी पार्टियों ने विरोध किया है.

कांग्रेस का मानना है कि AAP अब खुद को बीजेपी से बचाने की कोशिश कर रही है लेकिन कांग्रेस इस पार्टी को इस बार लाइफलाइन देने के मूड में नही है. इसके अलावा एक कारण यह भी है कि इस समय AAP खुद आंतरिक कलह से जूझ रही है. कांग्रेस का मानना है कि आप के चार में से तीन सांसदों ने पहले ही केजरीवाल के नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ऐसे में आम आदमी पार्टी अगर संयुक्त विपक्ष के साथ खड़ी भी हो जाती है तो वोटों में कुछ खास फर्क नहीं आएगा.

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