कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे गृहयुद्ध के दौरान लापता हुए 20 हजार से अधिक लोगों के बारे में जांच करना छह रहे है. वहीं राष्ट्रपति कार्यालय ने बीते बुधवार यानी 22 जनवरी 2020 को यह स्पष्टीकरण राजपक्षे के उस बयान के बाद जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि लापता लोगों की मौत हो गई. विद्रोहियों और सरकार के बीच तीन दशक तक चला गृहयुद्ध: जंहा यह कहा जा रहा है कि श्रीलंका में तमिल विद्रोहियों और सरकार के बीच करीब 3 दशक तक गृहयुद्ध चला था. 2009 में कड़ी सैन्य कार्रवाई के बाद यह युद्ध समाप्त हुआ था. वहीं इस कार्रवाई की कमान वर्तमान राष्ट्रपति और तत्कालीन रक्षा मंत्री गोतबाया के ही हाथ में थी. उन पर युद्ध अपराध जैसे गंभीर आरोप भी लगे थे. इस गृहयुद्ध में करीब एक लाख लोग मारे गए थे. राजपक्षे ने पहले कही थी लोगों के मरने की बात: जंहा गोतबाया ने हाल में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोआर्डिनेटर हाना सिंगर से मुलाकात के दौरान कहा था कि लापता लोगों के बारे में आवश्यक जांच के बाद उनके परिजनों को मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कदम उठाए जाएंगे. राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, राजपक्षे ने संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी को बताया था कि वह मामले की जांच चाहते हैं. उनका कहना था कि जो लोग इस लड़ाई में मारे गए उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता. सेना से ताल्लुक रखने वाले चार हजार कर्मचारी भी लापता: वहीं यह भी कहा जा रहा है कि वर्ष 2009 में गृहयुद्ध की समाप्ति पर सरकार ने जनगणना कराई थी. उस समय इस बात का पता चला था कि ज्यादातर लापता लोगों को लिट्टे ने अपनी सेना में शामिल कर लिया था. इसकी पुष्टि उनके परिजनों ने भी की थी. लेकिन लड़ाई के बाद उनका कोई पता नहीं चला. सच्चाई यह है कि लड़ाई के दौरान इन लोगों की मौत हो गई थी. सेना से ताल्लुक रखने वाले चार हजार कर्मचारी भी लापता हैं. इन लोगों की भी लड़ाई के दौरान मौत हो गई लेकिन उनके शव बरामद नहीं हुए. दुनिया के लिए खतरा बना कोरोनावायरस, चीन में अब तक 17 की मौत पाक के पीएम का बड़ा बयान, कहा- 'भारत से दुश्मनी के चलते पाकिस्तान'... Brexit Bill: ब्रेग्जिट विधेयक को संसद ने दी मंज़ूरी, यूरोपीय यूनियन से अलग होने का रास्ता साफ़