राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम किया आखरी संबोधन, कहा संसद को माना मंदिर

नई दिल्ली: हाल में देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के खत्म होने पर आज राष्ट्र के नाम पर आखिरी बार बतौर राष्ट्रपति सम्बोधित किया जिसमे उन्होंने कहा है कि हमेशा से ही लोगो की सेवा करना ही मेरा जूनून रहा है. मैं देश के लोगो का हमेशा आभारी रहूंगा कि उन्होंने मुझे इस पद पर बिठाया था. उन्होंने देश की शिक्षा और संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए भी कहा है. उन्होंने कहा कि सभी धर्मो में समानता से ही देश का विकास होगा. उन्होंने सभी धर्मो से समभाव रखने को कहा. साथ ही देश में फेल रही हिंसा को रोकने के साथ भाईचारा बढ़ाने पर जोर दिया.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मेरे पास कहने को शब्द नहीं है किन्तु भारत का बहुलतावाद बनाये रखे. संसद को मेने मंदिर माना है. भारत की आत्मा सहिष्णुता में है. भारत की गरीबी मिटने के लिए प्रयास किये जाये. भारत से गरीबी खत्म होने पर ही खुशहाली आएगी. देश को मजबूत बनाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे. इसके साथ ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने साम्प्रदायिकता, हठधर्मिता व हिंसा का रास्ता छोड़कर देश की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करने को कहा है.

बता दे कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है. ऐसे में उन्होंने बतौर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम संबोधन किया जिसमे उन्होंने उक्त बात कही.  प्रणब मुखर्जी ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी शुभकामनाये दी.

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