नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान दिवस पर आयोजित किए गए समारोह में न्यायपालिका में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा कि न्यायपालिका में लैंगिक समानता बनाने की आवश्यकता है. पिछले अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय में 9 जजों ने शपथ ग्रहण की है, जिनमें से तीन महिलाएं हैं. ये हमारे लिए गर्व की बात है. संविधान दिवस लोकतंत्र का पर्व है. राष्ट्रपति ने आगे कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता, किन्तु न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता किए बगैर न्यायपालिका के अंदर सुधार कई तरीकों से लाया जा सकता है. जैसे कि न्यायपालिका के लिए सर्वश्रेष्ठ विवेक का चुनाव करने के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा आरम्भ की जा सकती है. इसमें लोअर कोर्ट से लेकर उच्च अदालतों में न्यायमूर्तियों की नियुक्ति की जा सकती है. जब मामलों के पेंडिंग रहने की बात उठती है, तो न्यायमूर्तियों की नियुक्ति की बात भी उठती है. वहीं, देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एनवी रमना ने कहा कि हमारी चाहे जितनी भी आलोचनाएं हों, लेकिन न्यायपालिका को सशक्त करने का हमारा काम जारी रहेगा. मैं कानून मंत्री से एक विशेष प्रयोजन वाहन बनाने का आग्रह करता हूं, ताकि केंद्र द्वारा आवंटित धन जमीनी स्तर तक पहुंचे. मैं राष्ट्रीय न्यायिक संसाधन कोष की पुरजोर वकालत करता हूं. बिहार से 7-7 गाँवों की अदला-बदली करेगी योगी सरकार, चुनाव से पहले लिया बड़ा फैसला शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल को पंजाब पुलिस ने किया गिरफ्तार दिल्ली: नगर निगम के कर्मचारियों को 'कांग्रेस नेता' ने पीटा, गाली-गलौच कर मुर्गा बनाया