बैंगलोर: पांच चुनावी गारंटियों को पूरा करने के दबाव में, सीएम सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने एक अमेरिकी वैश्विक प्रबंधन परामर्श फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। BCG को राजस्व बढ़ाने और राजस्व संग्रह में लीकेज को रोकने के लिए रणनीति बनाने का काम सौंपा गया है। विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस द्वारा वादा किए गए पांच गारंटियों से 2023-24 में सरकारी खजाने पर 36,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है। हालाँकि, सोचने वाली बात ये भी है कि, इन गारंटियों में महिलाओं को 2000 रुपए और बेरोज़गारों को 3000 देने का प्रावधान किया है, जो उसके लिए बेहद मुश्किल साबित हो रहा है। लेकिन इन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने करोड़ों महिलाओं को 'खटाखट' 1 लाख, बेरोज़गारों को भी सालाना 1 लाख, सभी फसलों पर MSP, हर बार किसानों के कर्जे माफ़, करने का जो वादा किया था, उसे पार्टी कैसे पूरा करती ? क्या इसी तरह पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढाकर, टैक्स बढाकर, नंदिनी दूध, बिजली की दरें बढाकर, या फिर किसी विदेशी फर्म को हायर करके ये सब किया जाता ? फिर देश में शिक्षा, स्वास्थय, रक्षा, सड़क, जल और अन्य मुद्दों से जुड़े विकास कार्यों के लिए पैसा कहाँ से लाया जाता ? वैसे कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने विरासत टैक्स लगाने का सुझाव दिया था, जिसमे व्यक्ति के मरने के बाद उसकी 55 फीसद संपत्ति सरकार ले लेती, या तो इसे लागू किया जाता। या फिर जो देशवासियों की संपत्ति की गिनती करके उसके पुनर्वितरण का वादा किया था। बहरहाल, कांग्रेस अभी केंद्र की सत्ता में नहीं है और जहाँ सत्ता में है, वहां खज़ाना खाली हो चुका है, राज्य सरकार ने चुनावी गारंटियां पूरा करने के लिए पेट्रोल-डीजल पर एक साथ 3 रुपए बढ़ा दिए हैं, अभी और कुछ भी बढ़ सकता है। उल्लेखनीय है कि, इस साल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पांच योजनाओं के लिए करीब 52,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिससे करीब 5.10 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। सूत्रों के हवाले से जानकारी सामने आई है कि BCG ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि कांग्रेस सरकार को खनन और संपत्ति मुद्रीकरण जैसे विभागों में राजस्व के नए स्रोतों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि, कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा वादा की गई पांच गारंटियां हैं - गृह लक्ष्मी (परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये), गृह ज्योति (प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली), शक्ति (कर्नाटक भर में महिलाओं के लिए राज्य बसों में मुफ्त यात्रा), अन्न भाग्य (बीपीएल परिवारों के प्रत्येक सदस्य को हर महीने 10 किलो चावल) और युवा निधि (18-25 आयु वर्ग के बेरोजगार स्नातकों को 3,000 रुपये और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को 2 साल के लिए 1,500 रुपये)। इसके कई सुझावों में से एक सुझाव बेंगलुरु के पास लगभग 25,000 एकड़ जमीन का मुद्रीकरण करना है। एक सूत्र ने बताया है कि कर्नाटक सरकार बेंगलुरु और उसके आसपास के इलाकों के साथ-साथ बिदादी, अनेकल, होसकोटे, देवनहल्ली और डोड्डाबल्लापुर में नियोजित सैटेलाइट शहर बसाने पर विचार कर रही है। सूत्र ने कहा कि, "जब हम बुनियादी ढांचे, आवास, औद्योगिक लेआउट और आईटी गलियारे बनाते हैं, तो इससे भूमि का मूल्य बढ़ेगा और विकास के लिए धन जुटाने के लिए कुछ भूमि का मुद्रीकरण किया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि सिंचाई, ऊर्जा, लोक निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग जैसे विभागों में बेहतर व्यय प्रबंधन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। राज्य सरकार नए तरीकों से धन जुटाने की संभावनाएं भी तलाश रही है। अगर इन सुझावों पर अमल किया जाता है तो राज्य सरकार को हर वित्त वर्ष में 5,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने की उम्मीद है, लेकिन इससे भी गारंटी के 36000 करोड़ पूरे होने की गुंजाईश नहीं है, साथ ही सलाह देने के लिए अमेरिकी फर्म को भी कुछ भुगतान तो करना ही होगा। हालाँकि, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) एलके अतीक ने कहा कि GST और संपत्ति कर में अधिक अनुपालन से भी अधिक राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी। कर्नाटक सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाईं:- यह घटनाक्रम राज्य सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर उपकर में वृद्धि की घोषणा के कुछ दिनों बाद हुआ है, जिसके कारण ईंधन की कीमतों में वृद्धि हुई है। 15 जून से प्रभावी, सरकार ने पेट्रोल पर कर्नाटक बिक्री कर (केएसटी) को 25.92 प्रतिशत से बढ़ाकर 29.84 प्रतिशत और डीजल पर 14.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 18.4 प्रतिशत कर दिया। पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अनुसार, इसके साथ ही राज्य में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगभग 3 रुपये और 3.05 रुपये की वृद्धि होने की संभावना है। ईंधन की कीमतों में वृद्धि का बचाव करते हुए, राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कथित तौर पर कहा, "हमें चुनावी गारंटी और विकास के लिए पैसे की जरूरत है, इसलिए ईंधन की कीमत में वृद्धि हुई है।" एक साल में 1 लाख करोड़ की उधारी :- राज्य सरकार द्वारा लागू की गई पांच चुनावी गारंटी हैं: राज्य भर में महिलाओं के लिए गैर-एसी सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा; प्रति माह 200 यूनिट मुफ्त बिजली; परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये प्रति माह; BPL (गरीबी रेखा से नीचे) परिवारों को प्रति माह 10 किलोग्राम खाद्यान्न (चावल, रागी, ज्वार, बाजरा); बेरोजगार स्नातकों को दो साल के लिए 3,000 रुपये प्रति माह; और बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को दो साल के लिए 1,500 रुपये प्रति माह। इन पांच गारंटियों के चलते 2023-24 में सरकारी खजाने पर 36,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा, जबकि सिद्धारमैया ने चालू वित्त वर्ष में इन योजनाओं के लिए 52,009 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। सिद्धारमैया के 2024-25 के राजस्व घाटे वाले बजट - उनके 15वें बजट - में कुल व्यय 3,71,383 करोड़ रुपये है। 27,354 करोड़ रुपये के घाटे के साथ, यह संभवतः पहली बार है जब किसी वित्तीय वर्ष में वार्षिक उधारी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। हालाँकि, कांग्रेस के इन चुनावी वादों के साइड इफ़ेक्ट भी देखने को मिले थे। 200 यूनिट फ्री बिजली से जो राज्य बिजली सरप्लस रहता था, वहां बिजली कम होने लगी और फिर शुरू हुआ कटौती का दौर। इसका असर ये हुआ कि, बेल्लारी जिला, जो जीन्स का हब माना जाता था, वहां 6-8 घंटे की बिजली कटौती से कामकाज ठप्प हो गया। कई कर्मचारी और छोटे उद्योग कर्नाटक से निकलकर महाराष्ट्र और गोवा में जाकर काम करने लगे। वहीं, महिलाओं को फ्री बस यात्रा का ठीक से फायदा ही नहीं मिला, क्योंकि कई बार बस उनके लिए रूकती ही नहीं थी, इसके वीडियो काफी वायरल हुए थे कि, महिलाएं स्टॉप पर खड़े रहकर हाथ दे रहीं हैं, लेकिन बस रुक ही नहीं रही है, क्योकि उन्हें पता है पैसा नहीं मिलेगा। हालाँकि, इन सबके बीच कर्नाटक सरकार का खाली खज़ाना जनता के लिए एक और समस्या बन गया है, जिसे भरने के लिए अब महंगाई बम फोड़ा जा रहा है। कहाँ गया कर्नाटक सरकार का धन ? बता दें कि, कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान मुफ्त के चुनावी वादे किए थे, जिसके बाद वो सत्ता में तो आ गई, लेकिन इन गारंटियों को पूरा करने में सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ बढ़ गया। एक बार जब कांग्रेस विधायकों ने अपने क्षेत्रों में विकास कार्य के लिए राज्य सरकार से धन जारी करने के लिए कहा, तो डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने ये कहते हुए मना कर दिया कि चुनावी गारंटियों को पूरा करने में हमें फंड लगाना पड़ा है, इसलिए अभी विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं बचा है। इसके बाद जब इसी साल राज्य में सूखा पड़ा, तो राज्य सरकार के पास राहत कार्यों के लिए पैसे नहीं थे, उसने केंद्र से आर्थिक मदद मांगी। केंद्र ने उसे 3,454 करोड़ रुपये जारी किए। हालाँकि, कांग्रेस के चुनावी वादों पर भी अर्थशास्त्रियों ने चिंता जताई थी कि मुफ्त की चीज़ों से सरकारी ख़ज़ाने पर बोझ बढ़ेगा और बाकी विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं बचेगा, लेकिन उस समय पार्टी ने इन बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया था। यही नहीं, सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने अपनी मुफ्त की 5 चुनावी गारंटियों को पूरा करने के लिए SC/ST वेलफेयर फंड से 11 हजार करोड़ रुपये निकाल लिए थे। बता दें कि, कर्नाटक शेड्यूल कास्ट सब-प्लान और ट्रायबल सब-प्लान एक्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को अपने कुल बजट का 24.1% SC/ST के उत्थान के लिए खर्च करना पड़ता है। लेकिन उन 34000 करोड़ में से भी 11000 करोड़ रुपए राज्य सरकार ने निकाल लिए। इसके बाद राज्य सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए एक योजना शुरू की, जिसमे उन्हें वाहन खरीदने पर 3 लाख तक की सब्सिडी देने का ऐलान किया था। उस योजना के अनुसार, यदि कोई अल्पसंख्यक 8 लाख रुपये की कार खरीदता है, तो उसे मात्र 80,000 रुपये का शुरूआती भुगतान करना होगा। 3 लाख रुपए राज्य सरकार देगी, यही नहीं बाकी पैसों के लिए भी बैंक ऋण सरकार ही दिलाएगी। वहीं, इस साल के बजट में कांग्रेस सरकार ने वक्फ प्रॉपर्टी के लिए 100 करोड़ और ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ आवंटित किए हैं, फिर मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का बिल लेकर आई थी, लेकिन भाजपा के विरोध के कारण वो बिल पास नहीं हो सका। जानकारों का कहना है कि, धन का सही प्रबंधन नहीं करने के कारण, राज्य सरकार का खज़ाना खाली हो गया और उसके पास विकास कार्यों और अपनी जनता को सूखे से राहत देने के लिए पैसा नहीं बचा। दिल्ली के कई हिस्सों में बारिश, लोगों को गर्मी से मिली राहत कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की याद में रखा गया मौन, भारत ने जताया विरोध दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंची बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू से करेंगी द्विपक्षीय चर्चा