नई दिल्ली: मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जुगनॉथ 9-10 सितंबर को जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। कार्यक्रम से पहले, उन्होंने भारत की प्रशंसा की और अर्थव्यवस्था, नवाचार, प्रौद्योगिकी के साथ-साथ चंद्रमा पर चंद्रयान -3 की सफल लैंडिंग के लिए देश की "जबरदस्त वृद्धि" की सराहना की। एक इंटरव्यू में, पीएम जुगनौत ने G20 शिखर सम्मेलन की थीम 'वसुधैव कुटुंबकम' (पूरा विश्व एक परिवार है) की सराहना की और कहा कि भारत का दृष्टिकोण समावेशी है। उन्होंने कहा कि, 'हम जानते हैं कि भारत कितनी प्रगति कर रहा है।' उन्होंने यह भी कहा कि भारत अर्थव्यवस्था, नवाचार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में जबरदस्त प्रगति कर रहा है। मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'यह सब दर्शाता है कि भारत व्यावहारिक रूप से सभी क्षेत्रों में जबरदस्त प्रगति कर रहा है। श्री नरेंद्र मोदी स्वयं, जो कद आज उनके पास है, उनमें उन नीतियों को प्रभावित करने की संभावना है, जो हमारा मार्गदर्शन करेंगी।' G20 शिखर सम्मेलन की थीम 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के बारे में बात करते हुए, पीएम जुगनॉथ ने कहा कि, 'यह वह दृष्टिकोण है जिसे हमें यह देखने के लिए अपनाना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि हम एक साथ आएं। मैं देखता हूं कि भारत इस नेतृत्वकारी भूमिका को निभा रहा है और एक अधिक समावेशी वैश्विक नेटवर्क का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है।' अफ्रीकी संघ को 20 देशों के समूह में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव पर, पीएम जुगनॉथ ने कहा कि, 'मैं पीएम मोदी की पहल की सराहना करता हूं। अफ्रीका को न केवल अफ्रीका के विचारों को आवाज देने में सक्षम होने के लिए इसका हिस्सा बनना होगा, बल्कि उन लोगों की जिनकी आवाज़ें आम तौर पर नहीं सुनी जातीं।' बता दें कि, पीएम मोदी आज यानी शुक्रवार को प्रविंद जुगनॉथ के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।प्रविंद जुगनाथ जनवरी 2017 से मॉरीशस के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उनके परदादा 1870 के दशक में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश से मॉरीशस चले गए थे। 'न रावण-कंस के अहंकार से मिटा, न बाबर-औरंगज़ेब के अत्याचार से..', CM योगी बोले- वह 'सनातन' इन तुच्छ सत्ता परजीवियों से क्या मिटेगा.. I.N.D.I.A. गठबंधन की पहली परीक्षा ! 6 राज्यों की 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का आज आएगा परिणाम कांग्रेस ने क्यों किया ऐसा ? G20 समिट और विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के 'अपमान' की क्या है सच्चाई !