नईदिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद के उच्च सदन राज्यसभा में विदेश नीति पर चर्चा के दौरान सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का मजबूती से पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि आखिर 17 वर्ष में कोई प्रधानमंत्री नेपाल नहीं गया लेकिन मौजूदा प्रधानमंत्री दो बार नेपाल जा चुके हैं। नेपाल से हमारे संबंध खराब कैसे हो सकते हैं। गौरतलब है कि नेपाल में भूकंप आने के दौरान भी भारत ने एनडीआरएफ के दल को भेजा था साथ ही राहत सामग्री तक नेपाल की ओर पहुॅंचाई थी। विपक्ष ने संसद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को घेरा और उनके खिलाफ दो विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की बात कही। सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान समेत चीन के मसले पर भी काफी कुछ कहा। उन्होंने विपक्ष पर आरोप भी लगाया कि विपक्ष चीन के मसले पर सरकार से जानकारी लेने के स्थान पर चीन के राजदूत से भेंट कर लेता है। यह काफी दुखी की बात है, जबकि भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तो प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू को संसद को चीन को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की सलाह दी थी। ऐसे में उन्होंने संसद सदस्यों को इस बारे में जानकारी दी थी। हालांकि विपक्ष विदेश नीति का विरोध करता रहा और राज्यसभा के विपक्षी सांसदों ने यह तय किया कि वे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विरूद्ध विशेषाधिकार प्रस्ताव लेकर आऐंगे। अगल अलग पार्टीज़ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विरूद्ध विशेषाधिकार प्रस्ताव लेकर आऐंगी। जिसमें एक प्रस्ताव बानडुंग के एशिया अफ्रीका संबंधों पर सम्मेलन को लेकर होगा। हालांकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना था कि यहां उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया जबकि विपक्षी दल उनके भाषण का वीडियो डाउनलोड करके दर्शा रहे हैं। एक अन्य प्रस्ताव वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाहौर दौरे के को लेकर है। जिसमें कहा गया कि इस दौरे को लेकर संसद को गलत जानकारी दी गई। दावा किया गया कि इस दौरे के बाद कोई आतंकी वारदात नहीं हुई मगर इसके बाद तो पठानकोट में हमला हुआ था और कई आतंकी हमले हुए। ओमान में फंसी 45 महिलाओं के लिए दिल्ली महिला आयोग ने लगाई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के सामने गुहार सुषमा स्वराज ने कहा,विश्व के लिए चुनौती बना सीमा पार आतंकवाद