ग्वालियर : इन दिनों ग्वालियर में चुनावी चर्चा अपने चरम पर है. सियासी गलियारों में असमंजस की स्थिति दिखाई दे रही है. कई सवाल मुंह उठाए खड़े हुए हैं. क्या ग्वालियर लोकसभा सीट पर 1984 का चुनावी इतिहास दोहराया जाएगा? क्या कांग्रेस आखिरी समय में सिंधिया राजवंश से प्रियदर्शनी को मैदान में उतारेगी? इससे पहले 1984 में अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ आखिरी समय में राजीव गांधी ने माधवराव सिंधिया को उतारा था. परिकर के निधन के बाद, अब गोवा सीएम पद के लिए शुरू हुई खींच तान वाजपेयी के पास दूसरी लोकसभा सीट का विकल्प नहीं था. इस चुनाव में वाजपेयी को पौने दो लाख मत से अटल जी को मात मिली थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस दफा नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस एन समय पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी को चुनावी रण में उतार सकती है. तोमर खेमें में भी इस बात को लेकर चर्चा चल रही है. 1984 जैसे हालात से निपटने के लिए विकल्प के तौर पर तोमर भी ग्वालियर के स्थान पर भोपाल या मुरैना से लड़ने का प्रयास कर चुके हैं. एयर स्ट्राइक पर भाजपा नेता का बड़ा बयान, कहा थोड़ी देर और रुकते तो लाहौर में भी तिरंगा होता विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल अंचल में जोरदार सफलता हासिल करने वाली कांग्रेस अब लोकसभा में भी बेहतर परिणामों की उम्मीद से उत्साहित है. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस गत 12 वर्षों से वनवास भोग रही है. 2007 से ग्वालियर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कब्जा है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर से वर्तमान भाजपा सांसद हैं. खबरें और भी:- ऑस्ट्रेलिया: कार लेकर मस्जिद के गेट में जा घुसा शख्स, नमाज़ियों को कहे अभद्र शब्द लोकसभा चुनाव: 7 सीटों के प्रस्ताव पर गुस्साईं मायावती, कांग्रेस को जमकर घेरा भाजपा कार्यालय लाया गया सीएम पर्रिकर का पार्थिव शरीर, पीएम मोदी भी पहुंचेंगे