लखनऊ: उत्तर प्रदेश के रामनगरी अयोध्या में विशाल राममंदिर के निर्माण के लिए शांतिपूर्ण भूमिपूजन हो गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने मुख्य पूजा की. इसके साथ-साथ बीते 35 वर्ष के चल रहा झगड़ा खत्म हो गया. विश्व हिन्दू परिषद की अगुवाई में जब यह आंदोलन आरम्भ हुआ, तो आज की चीफ विपक्षी पार्टी सत्ता में थी. राजीव गांधी पीएम थे, तथा उनके साथ सलाहकारों की जो टीम थी, उन लोगों ने रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की बात को सिरे से निरस्त कर दिया. साथ ही आंदोलन का मार्गदर्शन कर रहे, संगठन विश्व हिन्दू परिषद की मन की इच्छा पूर्ण हो गई. विश्व हिन्दू परिषद ने भारत की उस समय की सबसे बड़ी पॉलिटिक्स पार्टी को प्रभु श्री राम के विरुद्ध प्रस्तुत कर दिया, तथा तब की मात्र दो लोकसभा सीट वाली पार्टी को राममन्दिर की पक्षधर के तौर पर पेश कर दिया. वही मंदिर निर्माण के काम में पीएम नरेंद्र मोदी को मिलने वाले सपोर्ट में सबसे दिलचस्प केस कांग्रेस का है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने बयान में कहा है कि प्रभु श्री राम सब में हैं तथा सब के हैं. ऐसे में 5 अगस्त को रामनगरी अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए होने जा रहा, भूमि पूजन राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व तथा सांस्कृतिक समागम का समारोह बनना चाहिए. उन्होंने कबीर के राम, तुलसी के राम, रैदास के राम के साथ साथ कई महान आत्माओं के राम का ज़िक्र किया तथा एक प्रकार से घोषणा कर दी, कि राम मंदिर के निर्माण में कांग्रेस की ओर से अब कोई बाधा नहीं उत्पन्न होगी. हालांकि उन्होंने अपने बयान में ऐसा नहीं कहा, किन्तु उनकी भाषा के अहसास से ऐसा लगता है कि वे पीएम के राम को भी उसी श्रेणी में रख रही हैं. वही विधिवत रूप से भूमिपूजन का कार्यक्रम सम्पन्न हो गया. कोरोना महामारी के बीच श्रीलंका के आम चुनाव संपन्न, राजपक्षे की पार्टी को प्रचंड जीत की उम्मीद बिहार रेजिमेंट के शहीदों को राहुल ने दी श्रद्धांजलि, पीएम से पुछा- इनके परिवारों को जवाब कौन देगा ? मात्र 24 घंटे में 5,900 लोगों की कोरोना से मौत