नई दिल्ली : हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की माॅं इसलिये दलित वर्ग की बन गई थी क्योंकि उसके बेटे रोहित को आरक्षण का फायदा मिल जाये। लेकिन बाद में जब मामले की जानकारी सामने आने के बाद रोहित को विवि प्रशासन ने बाहर कर दिया था। हालांकि रोहित ने इसे अपना अपमान माना और अवसाद में आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली थी। मामले की जांच करने के लिये केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से एक सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि रोहित की माॅं ने आरक्षण का फायदा उठाने के लिये दलित वर्ग होने का दावा किया था। आयोग द्वारा जारी जांच रिपोर्ट में यह बताया गया है कि रोहित ने छात्रावास से निकालने के मामले में आत्महत्या का कदम नहीं उठाया था और इसके लिये व्यक्तिगत कारण रहा है। गौरतलब है कि 17 जनवरी 2016 को रोहित ने आत्महत्या कर ली थी और इसके बाद इस मामले ने राजनीति रंग ले लिया था। जांच के लिये मंत्रालय की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके रूपनवाल को नियुक्त किया गया था। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र ने होस्टल...